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शिवराज विरोधियों के लिए लामबंदी का मौका

भोपाल, 18 जून (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय राजनीति में मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के हिस्सेदार बनने यानी राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी मिलने से राज्य की राजनीति पर असर पड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इस बदलाव को जहां विजयवर्गीय समर्थक एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, वहीं इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘मास्टर स्टोक’ के तौर पर देखा जा रहा है, मगर इतना तो साफ है कि दिल्ली में शिवराज विरोधियों को लामबंद होने का मौका जरूर मिल गया है।

भोपाल, 18 जून (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राष्ट्रीय राजनीति में मध्य प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के हिस्सेदार बनने यानी राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी मिलने से राज्य की राजनीति पर असर पड़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इस बदलाव को जहां विजयवर्गीय समर्थक एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं, वहीं इसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का ‘मास्टर स्टोक’ के तौर पर देखा जा रहा है, मगर इतना तो साफ है कि दिल्ली में शिवराज विरोधियों को लामबंद होने का मौका जरूर मिल गया है।

राज्य की राजनीति में पिछले कुछ अरसे से विजयवर्गीय का कद लगातार कम होता जा रहा था, लिहाजा वे पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में जगह बनाने की हर संभव कोशिश कर रहे थे, इतना ही नहीं गाहे-बगाहे वे अपने को राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के नजदीक दिखने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दे रहे थे। शाह से बढ़ी नजदीकी का ही नतीजा था कि उन्हें हरियाणा चुनाव में पार्टी ने जिम्मेदारी सौंपी तो उसमें वे अपनी क्षमता दिखाने में कामयाब भी रहे।

प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पर मुख्यमंत्री शिवराज और विजयवर्गीय की निष्ठाएं किसी से छुपी नहीं है। शिवराज की गिनती जहां भाजपा के वरिष्ठ नेता के करीबियों में रही है, तो विजयवर्गीय का हमेशा से शिवराज से ‘छत्तीस’ का आंकड़ा रहा है। दोनों के बीच टकराव अब खुलकर नजर आने लगा था, नगरीय प्रशासन मंत्री होते हुए भी विजयवर्गीय को अगले वर्ष उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ से दूर कर दिया गया था, वहीं मेट्रो परियोजना से भी विजयवर्गीय का नाता नहीं रहा।

राज्य की बदलती राजनीतिक परिस्थितियों के बीच विजयवर्गीय का राष्ट्रीय महासचिव बनना शिवराज के लिए पार्टी के भीतर किसी नई चुनौती से कम नहीं माना जा रहा है।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा पहली बार स्थायित्व में है, यही कारण है कि राज्य में दूसरा पावर सेंटर बनाया जा रहा है, पहले भाजपा और संघ राज्य में दूसरा पावर सेंटर नहीं बनाना चाहता था, मगर अब ऐसा नहीं रहा। लिहाजा, विजयवर्गीय के राष्ट्रीय महासचिव बनने से राज्य की राजनीति पर असर पड़ना तय है।

वहीं, भाजपा के प्रदेश संवाद प्रमुख डॉ. हितेश वाजपेयी का कहना है कि विजयवर्गीय के राष्ट्रीय महासचिव बनने से राज्य का गौरव बढ़ा है, वे संगठन में जाने के इच्छुक थे, उनके राजनीतिक कौशल और संगठन क्षमता का पार्टी केा लाभ मिलेगा। वे विजयवर्गीय को राज्य के राजनीति से बाहर किए जाने की बात से सहमत नहीं है।

राज्य की राजनीति के जानकारों का मानना है कि दिल्ली में शिवराज विरोधी राज्य से नाता रखने वाले नेताओ केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा का गुट अब विजयवर्गीय के वहां पहुंचने से और मजबूत हो जाएगा। उमा और झा को राज्य की राजनीति से बाहर करने में शिवराज की अहम भूमिका रही है, अब सभी मिलकर शिवराज की मुसीबत बढ़ा सकते हैं।

विजयवर्गीय के राष्ट्रीय राजनीति में जाने से हर कोई खुश है, अलग-अलग गुटों से नाता रखने वाले नेता इसे अपनी-अपनी जीत मान रहे हैं, मगर इस बदलाव का किस पर कितना असर होता है, यह तो आगे आने वाले समय और राजनीतिक चालों पर निर्भर करेगा।

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