Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the js_composer domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/functions.php on line 6121
 पैसा बनाने का धंधा बनकर रह गया सिनेमा : सुभाष घई | dharmpath.com

Tuesday , 3 June 2025

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » मनोरंजन » पैसा बनाने का धंधा बनकर रह गया सिनेमा : सुभाष घई

पैसा बनाने का धंधा बनकर रह गया सिनेमा : सुभाष घई

नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। ‘कर्ज’, ‘खलनायक’, ‘राम लखन’ और ‘परदेस’ जैसी सफल फिल्में देने वाले हिंदी फिल्मों के ‘शोमैन’ फिल्मकार सुभाष घई का मानना है कि इन दिनों व्यापारीकरण ने भारतीय सिनेमा को कमाई का जरिया बना दिया है।

नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। ‘कर्ज’, ‘खलनायक’, ‘राम लखन’ और ‘परदेस’ जैसी सफल फिल्में देने वाले हिंदी फिल्मों के ‘शोमैन’ फिल्मकार सुभाष घई का मानना है कि इन दिनों व्यापारीकरण ने भारतीय सिनेमा को कमाई का जरिया बना दिया है।

घई की पिछली कुछ फिल्में- ‘युवराज’, ‘कांची : द अनब्रेकबल’ और ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ दर्शकों का दिल नहीं जीत सकीं। 1980 और 1990 के दशक में उनकी तूती बोलती थी।

घई (70) ने मुंबई से फोन पर आईएएनएस को बताया, “भारतीय सिनेमा कमाई करने वाला उद्योग बनकर रह गया है। पूर्व में यह एक रचनात्मक उद्योग था, लेकिन अब इसमें व्यापारीकरण ज्यादा घुस गया है। अब कलाकार एक तय दृश्य या अदाकारी के बारे में बात नहीं करते, वे फिल्म की कमाई के बारे में बात करते हैं।”

घई ने नामचीन कलाकारों के बढ़ते मेहनताने को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, “फिल्म कारपोरेट कंपनियों ने हालिया वर्षो में बहुत नुकसान उठाया है। सिर्फ नामचीन स्टार की मौजूदगी और विपणन कंपनियों को मुनाफा हुआ।”

उन्हें इस बात पर गर्व है कि जब उनके सितारे बुलंद थे, तो स्टार उनके पीछा भागा करते थे। उन्होंने कहा, “निर्माताओं को अपने बजट की आधी रकम सितारों पर लुटाने की बजाय अच्छी कहानी वाली फिल्में बनाने और उनमें हाथ आजमाने की कोशिश करनी चाहिए। मैं अपनी फिल्म के बजट का महज 10 फीसदी सितारों को देता था, लेकिन अब सितारे फिल्म में अभिनय करने की बजाय निर्माताओं को समर्थन देने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं।”

घई को इस माह की शुरुआत में मलेशिया में इंटरनेशनल इंडियन फिल्म एकेडमी (आईफा) वीकेंड एंड अवार्ड्स में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा गया। उन्हें लगता है कि अभिनेताओं को फिल्म निर्माण के क्षेत्र में नहीं आना चाहिए, क्योंकि इससे निर्देशक का काम और मुश्किल हो जाता है।

घई ने कहा, “निर्देशक फिल्म निर्माता बन गए हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि उनकी विश्वनसीयता में कोई दूसरा व्यक्ति हस्तक्षेप करे। लेकिन जब अभिनेता फिल्म निर्माता बन जाते हैं, तो वे निर्देशक पर हुक्म चलाने की कोशिश करते हैं। इन दिनों कारपोरेट लोग प्रत्येक अभिनेता को निर्माता बनने के लिए कह रहे हैं। राजकुमार हिरानी और रोहित शेट्टी जैसे तीन-चार निर्देशकों को छोड़कर बाकी सारे बाध्य हैं।”

पैसा बनाने का धंधा बनकर रह गया सिनेमा : सुभाष घई Reviewed by on . नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। 'कर्ज', 'खलनायक', 'राम लखन' और 'परदेस' जैसी सफल फिल्में देने वाले हिंदी फिल्मों के 'शोमैन' फिल्मकार सुभाष घई का मानना है कि इन दिनो नई दिल्ली, 29 जून (आईएएनएस)। 'कर्ज', 'खलनायक', 'राम लखन' और 'परदेस' जैसी सफल फिल्में देने वाले हिंदी फिल्मों के 'शोमैन' फिल्मकार सुभाष घई का मानना है कि इन दिनो Rating:
scroll to top