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 शिवराज पर 10 साल में कई बार उठे सवाल (शिवराज के शासनकाल पर विशेष) | dharmpath.com

Monday , 9 June 2025

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शिवराज पर 10 साल में कई बार उठे सवाल (शिवराज के शासनकाल पर विशेष)

भोपाल, 29 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, इस अवधि में चौहान ने सियासत की बिसात पर हर विरोधी को मात दी। चुनावी जीत का सिलसिला जारी रखा, कई सफलता के झंडे गाड़े मगर इतना सब होने के बीच उन पर और उनसे जुड़े लोगों पर कई बार उंगली भी उठी है।

भोपाल, 29 नवंबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं, इस अवधि में चौहान ने सियासत की बिसात पर हर विरोधी को मात दी। चुनावी जीत का सिलसिला जारी रखा, कई सफलता के झंडे गाड़े मगर इतना सब होने के बीच उन पर और उनसे जुड़े लोगों पर कई बार उंगली भी उठी है।

शिवराज सिंह चौहान राज्य के पहले ऐसे गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 10 वर्ष का कार्यकाल पूरा किया हो। उन्होंने 29 नवंबर 2005 को बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी और तभी से वे इस कुर्सी पर काबिज हैं। उनके नेतृत्व मंे भाजपा ने दो विधानसभा और दो लोकसभा चुनाव जीते हैं। इन 10 वर्षो में वे राज्य की राजनीति में पार्टी के एक चेहरा बन गए हैं।

वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर का कहना है, “शिवराज के समग्र कार्यकाल को देखें तो उसे सफल कार्यकाल ही कहा जाएगा, क्योंकि इन 10 वर्षो में कई उपलब्धियां हासिल की गई हैं। जहां तक उनकी छवि को प्रभावित करने वाले आरोपों का सवाल है, अब तक उनकी किसी भी प्रकरण में उनकी संलिप्तता नहीं पाई गई है, यही कारण है कि उनके नेतृत्व में भाजपा ने कई चुनाव जीते हैं।”

चौहान को पार्टी ने 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर के स्थान पर मुख्यमंत्री की कमान सौंपी थी। चौहान ने अपने इन दस वर्षो में बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए लाडली लक्ष्मी योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, साइकिल योजना को अमली जामा पहनाया तो खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों के वास्ते कर्ज के ब्याज में कमी लाई और सिंचाई की बेहतर सुविधा मुहैया कराई, यही कारण रहा कि राज्य को लगातार तीन बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिला।

चौहान के कार्यकाल की उपलब्धियों में सड़कों का जाल और बिजली की उपलब्धता प्रमुख रही है। सड़क और बिजली ये दो ऐसे मसले थे, जिनके कारण कांग्रेस को 2003 का विधानसभा चुनाव हारना पड़ा था। इसके अलावा महिला सशक्तिकरण के लिए भी काम हुए हैं। पंचायत चुनाव में 50 प्रतिशत पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए, वहीं नौकरी में आरक्षण दिया गया। स्वयं मुख्यमंत्री चौहान भी इन बदलाव को अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहते हैं कि वे अपने काम से संतुष्ट हैं।

चौहान का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री का पद संभालते ही कल्याणकारी राज्य (वेलफेयर स्टेट) का संकल्प लिया था, और उसी संकल्प को पूरा करने के लिए काम किए जा रहे हैं।

वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने शिवराज के 10 वर्षो के कार्यकाल को नेताओं, मंत्रियों और अफसरों के लिए मालामाल करने वाला बेमिसाल काल बताया है। उन्होंने कहा है कि राज्य में माफियाओं की समानांतर सरकार चल रही है। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसान आत्महत्या, दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म, लूट, डकैती की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और मुख्यमंत्री कल्याणकारी राज्य के दावे कर रहे हैं।

जनता दल (युनाइटेड) के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव ने शिवराज के काल को दिग्विजय सिंह के कार्यकाल को आगे बढ़ाने वाला करार देते हुए कहा कि कांग्रेस के काल में भ्रष्टाचार था, तो शिवराज के काल में वह महाभ्रष्टाचार और विनाश अब महाविनाश की शक्ल लेता जा रहा है। राज्य के बीते 20 वर्ष विनाश बनाम महाविनाश और भ्रष्टाचार बनाम महाभ्रष्टाचार के तौर पर याद किए जाएंगे।

शिवराज के कार्यकाल पर डंपर घोटाला, व्यापमं घोटाला, भर्ती घोटाला, पर्ची से नियुक्तियां, किसान आत्महत्या, गैमन इंडिया घोटाला ने सीधी उंगली उठाई है। इसको लेकर विपक्षी दलों ने उन पर आरोप भी लगाए, मगर आरोपों के बीच हुए चुनावों में मिली जीत ने यही बताया कि चौहान की छवि पर इन मामलों का कोई असर नहीं पड़ा है।

राजनीति के जानकारों की मानें, तो चौहान उस फन में माहिर हो गए हैं जिसके जरिए विरोधियों को ठिकाने लगाना मुश्किल नहीं होता। एक तरफ विरोधी दल कांग्रेस को पनपने नहीं दे रहे हैं, वहीं अपने दल के विरोधियों को एक एक कर किनारे लगाते जा रहे हैं। इतना ही नहीं नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार चौहान के भविष्य पर सवाल उठते रहे हैं, मगर यह सवाल अब भी सवाल बना हुआ है कि चौहान कब तक मुख्यमंत्री रहेंगे।

राज्य में मुख्यमंत्री के तौर पर सबसे लंबी पारी कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने 10 वर्ष चार दिन की खेली थी और अब चौहान का कार्यकाल 10 वर्ष का पूरा हो गया है, अभी तो इस विधानसभा के लगभग तीन साल का समय बचा हुआ है। इस लिहाजा से चैहान मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन जाएंगे।

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