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 उप्र : आईपीएस अफसर 12 फीसदी कम, अपराध थमे कैसे | dharmpath.com

Tuesday , 10 June 2025

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उप्र : आईपीएस अफसर 12 फीसदी कम, अपराध थमे कैसे

लखनऊ, 1 जनवरी (आईएएनएस)। खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ वर्ष 2015 भी उत्तर प्रदेश को खराब कानून व्यवस्था और अपराधों की बढ़ती घटनाओं से मुक्ति नहीं दिला पाया। नया साल 2016 इस मामले में कितना अच्छा रहेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) में यह खुलासा हुआ है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे में आईपीएस अधिकारियों का जबर्दस्त टोटा है, जो अपराधों पर लगाम लगाने में बड़ी बाधा बन सकता है।

लखनऊ, 1 जनवरी (आईएएनएस)। खट्टे-मीठे अनुभवों के साथ वर्ष 2015 भी उत्तर प्रदेश को खराब कानून व्यवस्था और अपराधों की बढ़ती घटनाओं से मुक्ति नहीं दिला पाया। नया साल 2016 इस मामले में कितना अच्छा रहेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन सूचना के अधिकार (आरटीआई) में यह खुलासा हुआ है कि आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे में आईपीएस अधिकारियों का जबर्दस्त टोटा है, जो अपराधों पर लगाम लगाने में बड़ी बाधा बन सकता है।

उप्र की राजधानी के एक मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा की आरटीआई पर उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक मुख्यालय में तैनात पुलिस महानिरीक्षक (कार्मिक) बी.पी. जोगदंड द्वारा दिए जवाब में खुलासा हुआ है कि उत्तर प्रदेश में इस समय कुल निर्धारित संख्या से 12़1 प्रतिशत कम आईपीएस अधिकारी तैनात हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने आईएएनएस के साथ विशेष बातचीत के दौरान इसकी जानकारी दी। शर्मा ने बताया कि जोगदंड के इस जबाब से स्पष्ट है कि यूपी में कुल 405 आईपीएस अधिकारियों के पद सृजित हैं। पर इस समय केवल 356 आईपीएस अधिकारी ही तैनात हैं।

जोगदंड के जवाब के अनुसार, उत्तर प्रदेश संवर्ग के आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ 517 है, जिसमें 112 डेपुटेशन रिजर्व भी शामिल हैं। जोगदंड की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में 356 आईपीएस राज्य में तथा 59 आईपीएस अधिकारी डेपुटेशन पर तैनात हैं।

संजय ने बताया कि इस समय यूपी में कुल 49 आईपीएस अधिकारियों की कमी है, यानी इस समय यूपी में कुल 12 फीसदी आईपीएस अधिकारियों की कमी है और इस कमी को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को या तो एक आईपीएस अधिकारी को एक से अधिक पद की जिम्मेदारी देनी पड़ती है या फिर पीपीएस संवर्ग के अधिकारी को आईपीएस संवर्ग का कार्य देना पड़ता है। इसका सीधा असर कानून व्यवस्था पर पड़ता है।

दरअसल, संजय ने बीते साल के मई माह में यूपी के पुलिस महानिदेशक के कार्यालय में एक आरटीआई दायर करके यूपी के आईपीएस अधिकारियों की कैडर स्ट्रेंथ और आईपीएस अधिकारियों के भरे पदों की संख्या की सूचना मांगी थी।

शर्मा के मुताबिक, पुलिस महानिदेशक कार्यालय इस सामान्य सी सूचना के मामले में भी हीलाहवाली करता रहा और राज्य सूचना आयोग के दखल के बाद पुलिस मुख्यालय लखनऊ के पुलिस महानिरीक्षक कार्मिक ने बीते 17 दिसंबर के पत्र के माध्यम से संजय को यह सूचना अब उपलब्ध कराई है।

संजय ने बताया, “आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति का मुद्दा केंद्र सरकार के अधीन है, इसलिए अब वे इस मुद्दे पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को पत्र लिखकर विशेष भर्ती अभियान चलाकर सभी अखिल भारतीय सेवाओं के रिक्त पदों को तत्काल भरने के लिए मांग करेंगे।”

इधर, उप्र के पूर्व पुलिस महानिदेश के.एल. गुप्ता ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि राज्य में इतनी बड़ी संख्या में आईपीएस अधिकारियों की कमी का असर सीधेतौर पर कानून व्यवस्था को नियंत्रण करने में पड़ता है। कई विभाग ऐसे हैं जो इस कमी से सीधा प्रभावित होते हैं।

गुप्ता ने कहा, “कई ऐसे विभाग हैं जिसपर इसका सीधा असर पड़ता है। अधिकारियों की कमी होने से तैनात अधिकारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं, जिसका दबाव रहता है। आईबी और सीआईडी जैसे विभागों में इसका खासा असर पड़ता है।”

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