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 बिहार में पूर्ण शराबबंदी : क्रांतिकारी कदम | dharmpath.com

Sunday , 15 June 2025

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बिहार में पूर्ण शराबबंदी : क्रांतिकारी कदम

नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार की जनता के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति से प्रेरित पूर्ण शराबबंदी का निर्णय सामाजिक क्रांति के शुभारंभ का दिन रहा। बाजारवादी एवं सांप्रदायिक ताकतों के दबाव को नकारते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी का जो ऐतिहासिक निर्णय लिया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है।

नई दिल्ली, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार की जनता के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति से प्रेरित पूर्ण शराबबंदी का निर्णय सामाजिक क्रांति के शुभारंभ का दिन रहा। बाजारवादी एवं सांप्रदायिक ताकतों के दबाव को नकारते हुए मुख्यमंत्री ने पूर्ण शराबबंदी का जो ऐतिहासिक निर्णय लिया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है।

वास्तव में राजनीतिक नफे-नुकसान से परे यह एक साहसिक एवं क्रांतिकारी कदम है, जिसके उत्तम परिणाम सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक सभी क्षेत्रों में अवश्य देखने को मिलेंगे। किंतु यह तभी संभव है कि जब हम सभी इस अभियान को सफल बनाने में सहयोग करें।

ध्यान रहे, शराब माफिया एवं तश्कर अपने आर्थिक हितों की भरपाई के लिए सभी तरह के प्रयास से नहीं चुकेंगे तो हमें भी पूरी तरह से उनके षड्यंत्रों को विफल करने के लिए चौकन्ना एवं जागरूक रहना होगा। इसमें राजनैतिक दलों विशेषकर विपक्षी पार्टी के दलों ने आगे बढ़कर जो संकल्प दिखाया है, उस एकता व सामूहिकता को भी निरंतर बनाए रखना होगा।

प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर न्याय विभाग, शिक्षा विभाग एवं अन्य नागरिक सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों को कंधे से कंधा मिलाए रखना है।

चुनाव पूर्व पूर्ण शराबंदी की घोषणा करवाने में महिलाओं के आंदोलन एवं दबाव का सराहनीय योगदान रहा, तमाम सामाजिक बाध्यताओं के बावजूद पहली बार भारत में कही भी सामाजिक परिवर्तन के लिए निर्णय के पीछे महिलाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी ‘शराब मुक्त बिहार’ आंदोलन में दिखती है। निश्चय ही वे अपने परिवार एवं समाज में शराब से सबसे ज्यादा प्रभावित एवं प्रताड़ित रही हैं।

भविष्य की पीढ़ियां शराब एवं नशे से दूर रहे, इसके लिए बिहार सरकार को सुझाव है कि स्कूल एवं विद्यालय पाठ्यक्रमों में शराब एवं नशे से होने वाली हानियों के बारे में जागरूकता का पाठ पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए, जिससे कि गांधी जी के ‘नशा मुक्त भारत’ के सपने को साकार किया जा सके।

नशा मुक्ति से मजदूरों की आर्थिक उत्पादकता तो बढ़ेगी ही, साथ ही उनकी गाढ़ी कमाई को उत्पादक कार्यो में लगाया जा सकेगा। नशेड़ियों द्वारा घर-परिवार, समाज में फैलाए जाने वाली सामाजिक और सांप्रदायिक अशांति से मुक्ति मिलेगी। सबसे बड़ी बात जहरीली शराब से बड़ी संख्या में आए दिन होने वाली मौतों से छुटकारा भी स्वत: मिल जाएगा।

मैं पुन: एकबार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं बिहार की समस्त जनता को इस क्रांतिकारी निर्णय के लिए बधाई देता हूं। उम्मीद है कि देश के अन्य राज्य एवं केंद्र में सत्तासीन मोदी सरकार भी इस क्रांति की मशाल को आगे बढ़ाएंगे।

साथ ही संविधान के अनुच्छेद 47 का सम्मान करते हुए केंद्र सरकार से उम्मीद है कि शराबबंदी से राज्य को होने वाले वित्तीय क्षति के 50 प्रतिशत की भरपाई अगले पांच वर्षो में कर लेगी, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी रणछोड़जी देसाई ने किया था।

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