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गोवा सरकार का नारियल-वृक्ष को ‘पेड़’ मानने से इनकार, विपक्ष बिफरा

पणजी, 11 जनवरी (आईएएनएस)। गोवा सरकार के हाल के एक फैसले ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है। गोवा सरकार ने नारियल के पेड़ को ‘पेड़’ मानने से इनकार कर दिया है और इससे नारियल के पेड़ों को काटने का रास्ता साफ हो गया है।

इस फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली गठबंधन सरकार की आलोचना होने लगी है। विपक्ष के साथ ही पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे प्रदेश में रियल स्टेट के लिए नारियल के जंगल साफ कर दिए जाएंगे।

गोवा सरकार ने दावा किया है कि पहले की सरकारों ने नारियल को गलती से पेड़ की श्रेणी में डाल दिया था।

फटोरदा के निर्दलीय विधायक विजय सरदेसाई ने आईएएनएस को बताया, “एक तरफ जहां सरकार गाय को पवित्र पशु के नाम पर संरक्षण देती है, लेकिन वहीं नारियल के पेड़ों को काटने की खुली छूट दे रही है, जबकि नारियल का पेड़ न सिर्फ पवित्र पेड़ है, बल्कि इसे गोवा में कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। सरकार ने नारियल को वृक्ष की श्रेणी से बाहर रख कर रियल स्टेट कारोबारियों के लिए रास्ता साफ किया है।”

गोवा में नारियल पानी से स्थानीय पेय टोडी बनाई जाती है। इसके अलावा टोडी से ही अल्कोहलिक पेय फेनी बनाई जाती है। नारियल के खोल से विभिन्न हैंडीक्राफ्ट आइटम बनाए जाते हैं। इसके अलावा गोवा के खानपान में भी नारियल के दूध और नारियल का बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा नारियल के पेड़ के कटने के बाद उसके तने का प्रयोग मकानों की छत बनाने में भी किया जाता है।

लेकिन पिछले हफ्ते कैबिनेट के फैसले में सरकार ने नारियल पेड़ को ‘पेड़’ की श्रेणी से बाहर कर दिया।

वन मंत्री राजेंद्र अर्लेकर के मुताबिक, नारियल का पेड़ जैविक रूप से भी पेड़ की श्रेणी में नहीं है।

अर्लेकर कहते हैं, “2008 में इसे कांग्रेस की सरकार ने गलती से पेड़ की श्रेणी में डाल दिया था। हमने इस विसंगति को दूर कर दिया है।” वे गोवा दमन एंड दीव प्रीवेंशन ऑफ ट्री एक्ट 1984 के बारे में बताते हुए कहते हैं कि सरकार ने यह फैसला इसलिए किया, ताकि दक्षिण गोवा के संगुएम उपजिले में एक शराब कारखाने को अपने प्लॉट में बड़ी संख्या में नारियल का पेड़ लगाने की इजाजत दिया जा सके।

सरदेसाई कहते हैं, “सरकार ने यह फैसला विकास के लिए लिया है।” वहीं, देसाई कहते हैं कि अब नारियल का पेड़ काटने से पहले सरकार की इजाजत नहीं लेनी पड़ेगी, जैसा की पहले होता था।

कृषि विभाग में उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार, प्रदेश के 25,000 हेक्टेयर जमीन पर नारियल के पेड़ हैं, जिससे हर साल 13 लाख नारियल का उत्पादन होता है।

वहीं, गोवा कांग्रेस ने गोवा सरकार पर यहां की संस्कृति और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस प्रवक्ता यतीश नायक ने कहा कि भाजपानीत सरकार का नारियल के पेड़ की श्रेणी से बाहर रखने के फैसले से बड़ी संख्या में नारियल के पेड़ों कटने का रास्ता साफ कर दिया है। इससे गोवा की विशिष्ट पहचान भी खतरे में पड़ जाएगी।

गोवा सरकार का नारियल-वृक्ष को ‘पेड़’ मानने से इनकार, विपक्ष बिफरा Reviewed by on . पणजी, 11 जनवरी (आईएएनएस)। गोवा सरकार के हाल के एक फैसले ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है। गोवा सरकार ने नारियल के पेड़ को 'पेड़' मानने से इनकार कर दिया है और इसस पणजी, 11 जनवरी (आईएएनएस)। गोवा सरकार के हाल के एक फैसले ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है। गोवा सरकार ने नारियल के पेड़ को 'पेड़' मानने से इनकार कर दिया है और इसस Rating:
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