नई दिल्ली, 12 सितम्बर (आईएएनएस)। पूरे भारत के सभी सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) के सदस्यों के कार्यालयों व निवास स्थानों के सामने ईपीएस -95 राष्ट्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष कमांडर अशोक राऊत के नेतृत्व में ईपीएस -95 पेंशन धारकों ने प्रदर्शन किया और ठोस कार्रवाई न करने के विरोध में रोष जाहिर किया।
ईपीएस-95 पेंशनर देश भर में कामगारों के नुमाइंदे माने जाने वाले 10 सीबीटी के सदस्यों के घर हैदराबाद, नई दिल्ली, विशाखापटनम, जलगांव (महाराष्ट्र), लखनऊ, चंडीगढ़, नई दिल्ली और कोलकाता में प्रदर्शन किया।
इसी श्रंखला में जलगांव (महाराष्ट्र) में सीबीटी सदस्य प्रभाकर बानासुरे के निवास स्थान के सामने अशोक राऊत की उपस्थिति में आत्मक्लेश आंदोलन किया गया। आंदोलन में 5000 से अधिक पेंशन धारकों की उपस्थिति रही। प्रभाकर बानासुरे स्वयं आंदोलनकारियों के बीच आए और निवेदन स्वीकार किया और पेंशन धारकों को संबोधित कर उनकी मांगों को आगामी सीबीटी मीटिंग में उठाकर उन्हें पूर्ण करवाने का आश्वासन दिया।
ईपीएस-95 पेंशनर्स कम से कम 7,500 रुपये मासिक पेंशन और अंतरिम राहत के रूप में 5000 रुपये महंगाई भत्ते की मांग के लिए संघर्ष कर रहे ईपीएस पेंशनर बुधवार को देश भर में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में कामगारों के प्रतिनिधियों के घर और ऑफिस के सामने धरना दिया।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी में 44 सदस्य हैं, जिसमें से 10 कामगारों को नुमाइंदे है। ईपीएस पेशनर ने बुधवार को इन्हीं कामगारों के प्रतिनिधियों के घर के बाहर धरना दिया और उनसे सवाल किया कि आप जब हमारी मांगों को अधिकारियों के सामने उठा नहीं सकते तो फिर सीबीटी में क्यों हैं।
ईपीएस पेंशनर्स इस महंगाई के जमाने में काफी मुसीबत झेल रहे हैं। उन्हें इस समय मात्र 200 से 2500 रुपये पेंशन हर महीने मिल रही है। अगर आप सीबीटी के सदस्य होकर हमारी आवाज नहीं उठा सकते तो आपको यहां रहने का कोई अधिकार नहीं है। ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि ‘ईपीएस पेंशनर्स इतने नाराज हैं कि प्रतिनिधियों के मुंह पर कालिख भी पोत सकते हैं।’
गौरतलब है कि ईपीएस-95 योजना के तहत 60 लाख पेंशनधारक है, जिसमें से करीब 40 लाख सदस्यों को हर महीने 1500 रुपये से कम पेंशन मिल रही है और अन्य कर्मचारियों को 2 हजार रुपये से ढाई हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। कर्मचारियों का कहना है कि कमरतोड़ महंगाई के जमाने में इतनी कम पेंशन में महीने का खर्च चलना काफी मुश्किल है।