घटना की जानकारी मिलने पर पहुंची पुलिस ने सभी घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं अस्पताल में भी घायलों के इलाज में लापरवाही की बात भी सामने आ रही है।
कर्नाटक के बेंगलुरू से 43 श्रद्धालुओं का जत्था उत्तर प्रदेश के तीर्थस्थलों के दर्शन को 24 फरवरी को निकला था। ये सभी कर्नाटक से एयरलाइन्स के जरिए दिल्ली पहुंचे और वहां से एशियन ट्रैवल्स की बस से हरिद्वार, ऋषिकेश से होते हुए मथुरा-वृंदावन, आगरा में ताजमहल घूमने के बाद संगम नगरी इलाहाबाद जा रहे थे।
हादसे के समय बस में सभी श्रद्धालु सो रहे थे, बस के भोर से समय कानपुर के महाराजपुर थाना इलाके के नेशनल हाइवे-2 के सरसौल स्थित पुनीनियार गांव के पास से गुजर रही थी, तभी चालक को झपकी आ गई और तेज रफ्तार बस पलट गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, चालक ने स्टेरिंग झटके में मोड़ दी, जिससे बस हाइवे पर पलट गई, जिससे कानपुर-इलाहाबाद मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया। हादसे के बाद बस में चीख-पुकार मच गई और उसमें सवार 43 में से दो दर्जन से अधिक श्रद्धालु गंभीर रूप से घायल हो गए। अन्य को भी चोटें आई हैं।
ग्रामीणों व राहगीरों ने हादसे की सूचना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से शीशा तोड़कर उसमें फंसे घायलों को निकला और एम्बुलेंसों के जरिए आनन-फानन में सभी घायलों को उर्सला अस्पताल में भर्ती कराया।
उर्सला अस्पताल में घायलों के तुरंत उपचार के बजाय डॉक्टर एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते दिखे गए। कई डॉक्टर ड्यूटी ऑफ होने की बात कहकर निकल गए, जिससे घायलों के उपचार में देरी हुई।
पुलिस ने भी दूर-दराज के राज्य से यूपी आए श्रद्धालुओं के घायल होने पर कोई प्रबंध नहीं किया। यह सब देख ‘अतिथि देवो भव’ के तहत लोगों की मदद करने की बात पूरी तरह बेमानी साबित हुई।
बड़ा हादसा टला :
इन श्रद्धालुओं ने सफर के दौरान रास्ते में खाना बनाने का भी बंदोबस्त कर रखा था। बस में खाद्य सामग्री के साथ दो भरे सिलेंडर भी रखे थे। हादसे के बाद गनीमत यह रही कि सिलेंडर नहीं फटे। मौके पर पहुंची पुलिस व ग्रामीणों की मानें तो अगर बस के पलटने पर उसमें रखे सिलेंडर झटका लगने से फट जाते तो बस में आग लग सकती थी और बड़ा हादसा हो सकता था।
ये हैं घायल : गीता मणि (60), स्नेहलता देशपांडे (63), विजय लक्ष्मी (62), फन्नाराजा (68), सत्यनारायण (62), रमेश (64), भाग्यमा (61), सुधामणि (60), श्रीधर (45), श्री कृष्ण मोहन (52), वाई एन रामचंद्रन (63), के. दा दाक्षायनी (50), पुष्पाराज (63), नलीना (63), बी.बी. अनंतरमैया (65), पद्मजा (55),कमला (56), गंगाधर (40), रीतामणि (65) व अन्य।