न्यूयॉर्क, 17 जून (आईएएनएस)। भारतीय मूल के पूर्व अमेरिकी मरीन सार्जेट इमरान यूसुफ को ऑरलैंडो के एक समलैंगिक नाइटक्लब में गोलीबारी के दौरान कई जिंदगियां बचाने के लिए हीरो के रूप में सराहा गया है। इस गोलीबारी में 49 लोगों की जान चली गई।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यूसुफ पल्स नाइटक्लब में बतौर बाउंसर काम करते हैं। उस दिन जब उन्होंने नाइटक्लब में गोली चलने की पहली आवाज सुनी, तो अपने सैन्य अनुभव से तुरंत उन्होंने खतरे को भांप लिया। नाइटक्लब में उस वक्त मौजूद सभी लोग डर से कांप रहे थे, ऐसे में यूसुफ खतरे को नजरअंदाज कर अपनी जान जोखिम में डालते हुए आगे बढ़े और नाइटक्लब का पिछला दरवाजा खोल दिया, जिससे कई लोग बाहर निकल सके।
उन्होंने ‘सीबीएस न्यूज’ चैनल को बताया कि नाइटक्लब में हॉल के पीछे लोग डर से चिल्ला रहे थे और मैं ‘दरवाजा खोलो’, ‘दरवाजा खोलो’ चिल्ला रहा था। डर की वजह से कोई भी वहां से हिल नहीं रहा था।
यूसुफ ने एक साक्षात्कार में कहा, “कोई विकल्प नहीं था। हम या तो वहीं रुके रहते और मर जाते या मैं खतरा मोल लेता और वह कुंडी खोलने के लिए कूद पड़ता।”
यूसुफ की मां व नानी हिंदू हैं। यूसुफ इसे अमेरिका के इतिहास में अब तक का सबसे भीषण गोलीकांड मानते हैं।
उन्होंने कहा कि उनके फौरन हरकत में आने से 60-70 जिंदगियां बच गईं।
चैनल के अनुसार, यूसुफ ने रोते हुए कहा, “काश मैं और लोगों को भी बचा सकता। बहुत से लोग मारे गए।”
यूसुफ ने पिछले माह ही मरीन कॉर्प्स छोड़ दी।
समाचार-पत्र ‘मरीन कोर्प्स टाइम्स’ ने कहा कि उन्हें सर्विस में रहते हुए नेवी एंड मरीन कॉर्प्स अचीवमेंट मेडल से सम्मानित किया गया था।