नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। लॉस एंजेलिस में रहने वाले दीपेश जैन की पहली फिल्म ‘गली गुलियां’ एक हिंदी मनौवेज्ञानिक विषय पर आधारित है। यह एक ऐसे शख्स के बारे में है, जो पुरानी दिल्ली की गलियों में फंस-सा गया है। जैन का कहना है कि भारतीय दर्शक हमेशा से डार्क सिनेमा देखने के लिए तैयार रहे हैं, लेकिन शायद जोखिम की वजह से उन्हें इस तरह की कहानियां नहीं दिखाई जाती, यह स्थिति आज भी मौजूद है।
नई दिल्ली, 2 सितम्बर (आईएएनएस)। लॉस एंजेलिस में रहने वाले दीपेश जैन की पहली फिल्म ‘गली गुलियां’ एक हिंदी मनौवेज्ञानिक विषय पर आधारित है। यह एक ऐसे शख्स के बारे में है, जो पुरानी दिल्ली की गलियों में फंस-सा गया है। जैन का कहना है कि भारतीय दर्शक हमेशा से डार्क सिनेमा देखने के लिए तैयार रहे हैं, लेकिन शायद जोखिम की वजह से उन्हें इस तरह की कहानियां नहीं दिखाई जाती, यह स्थिति आज भी मौजूद है।
फिल्म ‘गली गुलियां’ के ट्रेलर में अभिनेता मनोज बाजपेयी एक दुकानदार की भूमिका में हैं, जो पुरानी दिल्ली में अकेलेपन में अपनी एक अलग दुनिया में रह रहे हैं। फिल्म में ढेर सारी गलियां और दीवारे आपको भूल-भूलैया की याद दिलाएंगी।
जैन ने यहां आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “मुझे लगता है कि भारतीय दर्शक गुरु दत्त के समय से डार्क सिनेमा के लिए तैयार रहे हैं। वे हमेशा से इसके लिए तैयार रहे हैं, लेकिन उन्हें ऐसी कहानियां पेश नहीं की गईं। यहां समस्या पसंद को लेकर नहीं है, बल्कि उस पसंद को उपलब्ध कराने के बारे में है।”
उन्होंने कहा, “अगर आप भारतीय दर्शकों से उनकी पसंदीदा फिल्मों के बारे में पूछेंगे तो उनमें से अधिकांश ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में बताएंगे, क्योंकि वे संदेश के साथ अच्छी फिल्में थीं, लेकिन वे गुरु दत्त की फिल्मों की भी तारीफ करेंगे और वे फिल्में हल्की-फुल्की नहीं थीं।”
जैन ने कहा कि उन फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को दिखाया गया है, लेकिन वे बेहद डार्क थीं। अगर हमारे पास क्षमता है, तो फिर अब क्यों नहीं?
डायरेक्टर गिल्ड ऑफ अमेरिका (डीजीए) द्वारा स्टूडेंट अवार्ड पा चुके जैन इस पर हैरानी जताते हैं कि दर्शकों को आत्ममंथन करने के लिए छोड़ने वाली फिल्मों को क्यों कुछ निश्चित प्रकार के दर्शकों तक सीमित माना जाता है।
जैन ने कहा कि हमें इन फिल्मों को भावनात्मक स्तर पर समझना है। वे आपको कुछ महसूस कराएं .. शायद हर बार खुशी महसूस नहीं कराएं, लेकिन उदास होना भी एक मजबूत भावना है।