कंपनी की ओर से जारी बयान के अनुसार, संयंत्र के मुख्य कार्यपालक अधिकारी एम. रवि के नेतृत्व तथा महाप्रबंधक (प्रभारी संकार्य) पी.आर. देशमुख के मार्गदर्शन में संयंत्र बिरादरी ने इस विशेष ग्रेड के इस्पात के विकास में सफलता पाई। इस नए ग्रेड के इस्पात के विकास हेतु रणनीतिक योजना, क्रियान्वयन तथा मॉनिटरिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यो में संयंत्र के विभिन्न विभागों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन विभागों में आरसीएल, एसएमएस-1, बीबीएम, मर्चेट मिल शामिल हैं।
बयान के अनुसार, इसके अतिरिक्त इसमें मार्केटिंग, पीपीसी, फाइनेंस, सी एंड आईटी व सेल के मार्केटिंग विंग, सीएमओ ने भी अपनी भागीदारी निभाई।
बयान में कहा गया है कि विशेष इस्पात की 425 टन की पहली खेप गुरुवार को संयंत्र के मर्चेट मिल से महाप्रबंधक (प्रभारी संकार्य) पी.आर. देशमुख द्वारा झंडा दिखाकर रवाना किया गया। आईएस-2062 ई-410 ग्रेड सी चैनल स्टील का निर्माण एसएमएस-1 में किया गया तथा इसकी रोलिंग ब्लूमिंग एवं बिलेट मिल व मर्चेट मिल के सहयोग से किया गया।
इसके साथ ही इस इस्पात की गुणवत्ता परखने का कार्य संयंत्र के अनुसंधान एवं नियंत्रण प्रयोगशाला में किया गया, जहां इसका इंपैक्ट टेस्ट माइनस 20 डिग्री सेल्सियस में किया गया। इस कड़े परीक्षण में खरा उतरने के बाद इसे इस्तेमाल हेतु रवाना किया गया।
सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र ने इससे पूर्व में भी डिफेंस सेक्टर के लिए युद्धपोत बनाने हेतु कठोर वारशिप ग्रेड इस्पात प्लेटों की आपूर्ति भारतीय नौसेना को की है। डीएमआर-249 ए ग्रेड के प्लेटों की रोलिंग बीएसपी के प्लेट मिल में की गई, जिसका इस्तेमाल भारत के प्रथम स्वदेशी विमान वाहक पोत, आईएनएस विक्रांत में किया गया।
इसके अतिरिक्त बीएसपी की स्पेशल स्टील प्लेटों का उपयोग विभिन्न स्वदेशी युद्धपोतों के निर्माण में किया जा रहा है। देश के रक्षा क्षेत्र के विकास में भिलाई इस्पात संयंत्र ने निरंतर योगदान दिया है। इससे पहले सीमा की रक्षा के लिए बनाए जाने वाले बॉर्डर फेसिंग निर्माण हेतु जंगरोधी स्ट्रक्चरल स्टील की भी आपूर्ति की जा चुकी है।