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 छत्तीसगढ़ी व्यंजन संस्कृति के अहम हिस्से : रमन | dharmpath.com

Monday , 5 May 2025

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छत्तीसगढ़ी व्यंजन संस्कृति के अहम हिस्से : रमन

मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी व्यंजन हमारी ग्रामीण संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। महानगरीय संस्कृति और आपाधापी के इस दौर में इनका संरक्षण और प्रचार-प्रसार जरूरी हो गया है।

उन्होंने कहा कि ‘गढ़कलेवा’ का यह केंद्र इस कार्य में बहुत उपयोगी साबित होगा।

डॉ. सिंह ने राजधानी रायपुर में इस केंद्र की स्थापना के लिए संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल और विभागीय अधिकारियों को बधाई दी।

संस्कृति विभाग के सचालक डॉ. राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि छत्तीसगढ़ की पारंपरिक व्यंजन के अंतर्गत जलपान के अलावा गीली मिठाई और सूखी मिठाई भी उपलब्ध रहेगी।

उन्होंने बताया कि जलपान समूह के तहत चीला, फरा, मुठिया, धुसका, चाउर रोटी अंगाकर, चाउर रोटी पातर, बफौरी, नमकीन देहरउरी, हथफोड़वा, बरा उरीद और बरा मूंग उपलब्ध रहेगी। इसी तरह गीली मिठाई में बबरा, देहरउरी, मालपुआ, दूधफरा, अइरसा तथा सूखी मिठाई के अंतर्गत ठेठरी, खुरमी, बिड़िया, पिड़िया, पपची और पूरन लाडू मिलेगा।

इस केंद्र में लोगों को ग्रामीण परिवेश में छत्तीसगढ़ की लगभग 36 प्रकार की व्यंजनों का एक साथ स्वाद लेने का अवसर मिलेगा। यह केंद्र सप्ताह के सभी दिनों में आम जनता के लिए खुला रहेगा।

शुभारंभ के इस अवसर पर विधानसभा के अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, संस्कृति मंत्री दयालदास बघेल, कृषि मंत्री बृजमोहन अ्रग्रवाल, छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष छगन मूंदड़ा और मुख्य सचिव विवेक ढांड विशेष रूप से उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ी व्यंजन संस्कृति के अहम हिस्से : रमन Reviewed by on . मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी व्यंजन हमारी ग्रामीण संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। महानगरीय संस्कृति और आपाधापी के इस दौर में इनका संरक्षण और प्रचार-प्रसा मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ी व्यंजन हमारी ग्रामीण संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। महानगरीय संस्कृति और आपाधापी के इस दौर में इनका संरक्षण और प्रचार-प्रसा Rating:
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