नई दिल्ली, 25 फरवरी (आईएएनएस)। देश के शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में कम से कम 20 फीसदी सामान ऐसे हैं जो उनके काम के नहीं रह गए हैं और इन सामानों को सेकेंड हैंड उत्पाद के रूप में देखा जाए तो इस्तेमाल किए उत्पादों को भारतीय बाजार 56,200 करोड़ रुपये का है। एक ऑनलाइन खुदरा कारोबार करने वाली कंपनी ने यह जानकारी दी।
सेकेंड हैंड उत्पादों की खरीद-फरोख्त करने वाली ऑनलाइन कंपनी ‘ओएलएक्स’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमरजीत सिंह बत्रा ने कहा, “हमने बाजार के इस क्षेत्र से जुड़े आंकड़े पहली बार पेश किए हैं, जिसके अनुसार देश के सिर्फ शहरी क्षेत्र में सेकेंड हैंड उत्पादों का बाजार 56,200 करोड़ रुपये का है।”
बत्रा ने कहा कि यदि इसमें उपनगरीय और ग्रामीण इलाकों को भी जोड़ लिया जाए तो यह आंकड़ां कहीं ऊपर चला जाएगा।
कंपनी ने हाल ही में देश में सेकेंड हैंड उत्पादों को लेकर एक अध्ययन किया। कंपनी ने पिछले वर्ष के शुरुआत में देश भर में सेकेंड हैंड उत्पादों का बाजार 22,000 करोड़ रुपये का होने का अनुमान व्यक्त किया था।
कंपनी के अनुसार, भारत में पिछले वर्ष भी संग्रहण का प्रचलन पूर्ववत बना रहा और 87 फीसदी परिवारों ने इस्तेमाल में न रह गईं वस्तुओं का संग्रहण रखा, जबकि 45 फीसदी उत्पाद ही बिक्री के लिए पेश किए गए।
कंपनी के अनुसार, “उत्तरी भारत सेकेंड हैंड उत्पादों की बिक्री में शीर्ष पर रहा तथा 48 फीसदी परिवारों ने अपने सेकेंड हैंड उत्पादों की बिक्री की। वहीं उत्तरी हिस्सा संग्रहण में अव्वल रहा और 97 फीसदी परिवारों ने इस्तेमाल में न रह गई वस्तुओं को यूं ही जमा रहने दिया।”
ओएलएक्स के अनुसार, देश में जिन वस्तुओं को इस्तेमाल में न रहने के बाद भी संग्रह करके रखा गया उनमें वस्त्र सबसे ऊपर हैं, जिसके बाद क्रमश: बर्तन, किताबों और मोबाइल का नंबर आता है।
कंपनी ने अपने अध्ययन में पाया कि राष्ट्रीय राजधानी के 83 फीसदी घरों में ऐसे सेकेंड हैंड उत्पादों का संग्रह है, जबकि कोलकाता सेकेंड हैंड उत्पादों को बेचने में सबसे आगे है।
सबसे रोचक बात यह है कि देश का आईटी हब बन चुका बेंगलुरू सेकेंड हैंड उत्पादों को बेचने में सबसे कम रूचि रखने वाला महानगर निकला।
अध्ययन के मुताबिक देश के शहरी इलाकों में औसतन हर घर में 8,400 रुपये के इस्तेमाल में न रह गए बेचे जा सकने योग्य उत्पाद हैं।