नई दिल्ली, 8 दिसम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र मामले में मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को 19 दिसंबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट लवलीन ने उन्हें मंगलवार को अदालत में व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को सोनिया और राहुल की याचिकाओं को खारिज कर दिया और उन्हें समन जारी कर मंगलवार को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने अदालत में अर्जी दाखिल कर वाईआईएल संस्था द्वारा ए.जे.एल. के अधिग्रहण में ‘धोखाधड़ी’ की शिकायत दर्ज कराई थी।
ए.जे.एल. में सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस शिकायत के बाद निचली अदालत ने 26 जून को कांग्रेस नेताओं को समन जारी किए थे, जिसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि सोनिया और राहुल दोनों ही अदालत के समक्ष पेश होने के इच्छुक हैं लेकिन दिलल्ी उच्च न्यायालय का आदेश ही उन्हें देर से मिला।
उन्होंने सोनिया और राहुल गांधी की अदालत में पेशी से छूट देने के लिए याचिका दायर की।
वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने अपने मुवक्किल सैम पित्रोदा की अदालत में पेशी से छूट मांगी। उन्होंने अदालत को बताया कि पित्रोदा अमेरिका में रहता है और उसे भारत पहुंचने के लिए समय चाहिए।
कांग्रेस के कोषाध्यक्ष मोती लाल वोरा, गांधी परिवार के पारिवारिक मित्र सुमन दुबे और पार्टी के अन्य नेता ऑस्कर फर्नाडीस ने भी अदालत में पेशी से छूट की मांग की।
शिकायतकर्ता स्वामी ने अदालत में पेशी से छूट संबंधी याचिका का विरोध किया।
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने कहा कि वाईआईएल ने सार्वजनिक पैसे के व्यक्तिगत इस्तेमाल करने और एजेएल की 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए धोखाधड़ी की।
स्वामी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने एजेएल को 90.25 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण दिया और बाद में पार्टी ने 50 लाख रुपये में ऋण वाईआईएल को हस्तांतरित कर दिया।
उस समय एजेएल ने कहा कि वह ऋण का भुगतान नहीं कर सका और इसके एवज में कंपनी और इसकी परिसंपत्तियां वाईआईएल को बेचने को तैयार हो गया। उस समय वोरा एजेएल के अध्यक्ष थे।