वाशिंगटन, 16 सितंबर (आईएएनएस)। अमेरिका ने एक बार फिर कहा है कि पाकिस्तान का आतंकवाद के साथ संघर्ष तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक वह ‘बाह्य उन्मुख’ आतंकी संगठनों के प्रति अपनी सहिष्णुता की नीति में निर्णायक बदलाव नहीं लाता है और उनके सीमा पार हमलों को नहीं रोकता है।
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार ‘डॉन’ की वेबसाइट के अनुसार, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड ओल्सन ने सीनेट की विदेश संबंध समिति से कहा कि ओबामा प्रशासन ने पाकिस्तान को यह अवगत करा दिया है कि जब तक सीमा पार हो रहे इन हमलों को रोका नहीं जाता, तब तक इलाके में शांति कायम नहीं हो सकती।
मौजूदा कार्यभार संभालने से पहले इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत रह चुके ओल्सन ने काबुल और इस्लामाबाद के बीच रचनात्मक संबंध की जरूरत पर भी जोर दिया, जो इलाके में शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
ओल्सन के अनुसार, अशरफ घनी जब अफगानिस्तान में सत्ता में आए, तब दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी सुधार हुआ था। लेकिन शरणार्थी, सीमा प्रबंधन और आतंकवाद से मुकाबला समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों के कारण गत साल से दोनों के संबंध निम्न स्तर पर हैं।
उन्होंने हाल के महीनों में संबंधों में सुधार की दिशा में उत्साहजनक संकेतों को भी रेखांकित किया।
ओल्सन ने आगे कहा कि गत जून महीने में बैठक के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान की विदेश नीति के प्रमुख सीमा प्रबंधन को लेकर वरिष्ठ और सामरिक स्तर पर समन्वय स्थापित करने को सहमत हुए।
अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा, “हम इस तरह के तंत्र का समर्थन करते हैं और मानते हैं कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच अधिकाधिक द्विपक्षीय वार्ता होने से परस्पर समझदारी, क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की संभावना बढ़ेगी।”
उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी अभियान ‘जर्ब-ए-अज्ब’ की प्रशंसा की।
ओल्सन ने कहा, “अमेरिकी अधिकारी पाकिस्तान के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ इस बात को लेकर काफी स्पष्ट रहे हैं कि पड़ोसियों को निशाना बनाने वालों समेत सभी आतंकी संगठनों के खिलाफ बिना किसी भेदभाव के इस्लामाबाद को कार्रवाई करनी चाहिए।”
अमेरिकी राजनयिक ने समिति से कहा कि पाकिस्तानी नेताओं ने ऐसा करने के बारे में अमेरिका को आश्वस्त किया है।
ओल्सन ने कहा कि अमेरिका-भारत-अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की बहाली के जरिए अमेरिका भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों का समर्थन जारी रखेगा। यह वार्ता अगले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के इतर होगी।