नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय उद्योग परिसंघ ने रविवार को उम्मीद जताई कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट 2015-16 में मितव्ययिता और वित्तीय अनुशासन पर पूरा ध्यान देंगे।
परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने यहां जारी एक बयान में कहा, “नियंत्रित वित्तीय घाटे से महंगाई पर नियंत्रण बना रहेगा और निजी निवेश होगा, जिससे तेजी की वापसी की प्रक्रिया मजबूत होगी।”
परिसंघ ने अनुरोध किया है कि राजस्व जुटाने के लिए गैर कर विकल्पों को अपनाया जाना चाहिए, जिसमें शामिल है विनिवेश, निजी कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी को धीमे-धीमे कम करना और स्पेक्ट्रम तथा खनिज ब्लॉकों की बिक्री।
बयान में कहा गया है, “आय जुटाने के अन्य विकल्पों में हैं घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की रणनीतिक बिक्री। इनमें से अधिकतर कंपनियां गैर रणनीतिक क्षेत्र में हैं, जहां सरकार की मौजूदगी से सार्वजनिक हित का कोई सरोकार जुड़ा हुआ नहीं है।”
परिसंघ ने कहा, “साथ ही वित्त मंत्री रेलवे, बंदरगाह ट्रस्ट, आदि के पास मौजूद सरकारी भूमि के दोहन की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।”
बयान में कहा गया है, “बजट में सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 51 फीसदी किए जाने की उम्मीद की जा सकती है। इससे बैंकों में पूंजी का निवेश होगा और उसकी कार्य क्षमता बढ़ेगी।”