चिकित्सक कर्नल के.जे. सिंह ने शनिवार को बताया कि 51 वर्षीय महिला को पिछले छह माह से उसके अमाशय में दर्द था। परीक्षण से पता चला कि उसके लिवर में बाईं ओर ट्यूमर है। दर्द का इलाज करने के लिए ट्यूमर का ऑपरेशन एवं ट्यूमर से प्रभावित लिवर को निकालना जरूरी था।
उन्होंने कहा कि लिवर ऑपरेशन की स्थिति में सबसे बड़ी बाधा लगातार रक्तस्राव के दौरान रक्त की आपूर्ति बनाए रखना होता है। लेप्रोस्कोपी से ऑपरेशन करना एक जटिल कार्य है।
डॉ. सिंह ने बताया कि बड़ी शल्यक्रिया एवं मशक्कत के बाद इस ऑपरेशन में सफलता हासिल हुई। दूरबीन द्वारा की गई इस प्रकार की शल्यक्रिया अपने आप में एक चुनौती थी। लेकिन परिणाम अच्छा मिला। मरीज को ऑपरेशन के बाद आनेवाली समस्याएं बहुत कम थीं।
उन्होंने बताया कि यह लेप्रोस्कोपी सर्जरी में विशिष्ट एनर्जी डिवाइसों व स्टेपलर्स का इस्तेमाल किया गया और लिवर का लगभग 15़12 सेंटीमीटर भाग हटाया गया।
मध्य कमान अस्पताल के सेनानायक मेजर जनरल ए.के. हुड्डा ने जानकारी दी कि मरीज का स्वास्थ्य सुधार भी तेजी से हुआ। मरीज को तीसरे दिन ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मेजर जनरल हुड्डा ने कहा कि पूरे उत्तर भारत में इस प्रकार की सर्जरी पहली बार की गई है।
मध्य कमान के मेजर जनरल मेडिकल (एमजी मेड) मेजर जनरल एस. जौहरी ने कहा कि शरीर के नाजुक अंग से इतना बड़ा ट्यूमर निकालकर सशस्त्र सेनाओं के डक्टरों ने अपनी चिकित्सकीय दक्षता व कुशल प्रशिक्षण का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
इस उपलब्धि के लिए मध्य कमान के सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल बलवंत सिंह नेगी ने चिकित्सकीय दल के सभी सदस्यों की प्रशंसा करते हुए इस सफलता के लिए बधाई दी।