लंदन, 23 अक्टूबर (आईएएनएस)। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन पर दबाव पड़ रहा है कि वह चीनी पर कर लगाएं। कैमरन इस कर का पहले विरोध कर चुके हैं। एक रपट के प्रकाशित होने के बाद यह दबाव बढ़ा है। बच्चों में बढ़ रहे मोटापे से संबंधित इस रपट में चीनी के उपभोग को हतोत्साहित करने के लिए 10 से 20 फीसदी तक कर लगाने की मांग की गई है।
द गार्डियन ने शुक्रवार को बताया कि इंग्लैंड सार्वजनिक स्वास्थ्य की रपट “शुगर रिडक्शन: द एविडेंस फार एक्शन” जारी होने के बाद कैमरन से कहा जा रहा है कि वह कम से कम महंगे चीनी उत्पादों पर ही कर लगाने के बारे में विचार करें। कैमरन ने अभी रपट पढ़ी नहीं है। यह भी आरोप है कि स्वास्थ्य सचिव जेरेमी हंट ने रपट के प्रकाशन में जान बूझकर देरी की।
रपट में कहा गया है, ” चीनी वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ मोटापा और सेहत की अन्य दिक्कतें पैदा कर रहे हैं। दांतों के नुकसान की समस्या भी इससे बढ़ रही है। इंग्लैंड में 25 फीसदी वयस्क, 4 से 5 साल के 10 फीसदी और 10 से 11 साल के 19 फीसदी बच्चे मोटापे के शिकार हैं। इनमें से कइयों का वजन बहुत ज्यादा है।”
प्रधानमंत्री कार्यालय ने बताया कि सरकार रपट में की गई कई अन्य सिफारिशों पर विचार कर रही है। इसमें चीनी से बनने वाले उत्पादों के विज्ञापन पर लगाम लगाना और दाम घटाकर बिक्री बढ़ाने से रोकना शामिल हैं।
लेकिन, कैमरन के प्रवक्ता ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री के विचार में “बच्चों में मोटापे से निपटने के लिए चीनी कर लगाने से बेहतर तरीके भी हो सकते हैं।”
चीनी कर न लगाने के कैमरन की सोच ने उन्हें स्वास्थ्य समूहों, लेबर पार्टी, खुद उनकी कंजरवेटिव पार्टी के कुछ सदस्यों और जाने-माने शेफ जेमी ओलिवर के विरोध में खड़ा कर दिया है।
जेमी ने कहा, “गेंद अब सरकार के पाले में है। उसके पास मौका है ऐसे साहसी फैसले लेने का जो ब्रिटेन को मोटापे और खान-पान से जुड़ी बीमारियों से बचा सकता है।”