वाशिंगटन, 21 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहे विकास और भारत-अमेरिका संबधों में सुधार के बावजूद भारतीय भाषाओं में अमेरिकी छात्रों का रुझान लगतार घट रहा है।
वाशिंगटन, 21 फरवरी (आईएएनएस)। भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से हो रहे विकास और भारत-अमेरिका संबधों में सुधार के बावजूद भारतीय भाषाओं में अमेरिकी छात्रों का रुझान लगतार घट रहा है।
दक्षिण एशिया के एक विशेषज्ञ ने मॉडर्न लैंग्वेज एसोसिएशन (एमएलए) द्वारा किए गए सर्वेक्षण के आधार पर बताया कि अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में छात्र भारतीय भाषाओं में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे, जबकि अरबी, चीनी या कोरियाई भाषाओं में छात्रों की संख्या बढ़ रही है।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में वरिष्ठ फेलो अलीसा आयर्स ने अमेरिकी उच्च शिक्षा में विदेशी भाषाओं में पंजीकरण पर एमएलए के प्रत्येक चार वर्ष पर होने वाले सर्वेक्षण के आधार पर कहा, “भारतीय भाषाओं ने कम प्रगति की है।”
अमेरिका में 9/11 के हमले के परिणामस्वरूप अमेरिकियों में अरबी भाषा के अध्ययन के प्रति रुझान बढ़ा है, लेकिन भारतीय भाषाओं के साथ ऐसा नहीं है।
आयर्स ने बताया कि भारत की आर्थिक प्रगति का भी भारतीय भाषाओं के अध्ययन पर वैसा प्रभाव नहीं पड़ा, जैसा कि जापानी, चीनी और कोरियाई भाषाओं में देखा गया।
आयर्स ने कहा, “यह सही है कि इन सभी भाषाओं की तुलना भारत की अनेक भाषाओं से करना कठिन है, लेकिन अमेरिका में सभी भारतीय भाषाओं में हुए पंजीकरण को जोड़ने पर भी यह संख्या 4,000 से अधिक नहीं है।”
वर्ष 2013 में भारतीय भाषाओं में पंजीकरण संख्या गिरकर 3,090 हो गई, जबकि 2009 में यह संख्या 3,924 थी। 2013 के इन पंजीकरणों में हिंदी (1800), हिंदी-उर्दू (533), उर्दू (349), पंजाबी (124), तमिल (82), बंगाली (64), तेलुगू (51), मलयालम (44), नेपाली (27), गुजराती (6), कन्नड़ (5), और मराठी (5) भाषाएं शामिल हैं।
जबकि 2013 के दौरान अमेरिका में जापानी भाषा में लगभग 67,000 छात्रों, चीनी में 61,000 और कोरियाई भाषा में लगभग 12,000 छात्रों ने पंजीकरण कराया था।
आयर्स ने कहा, “भारत के मामले में इसकी आधिकारिक और कई अन्य भाषाएं हैं। मैं भयभीत हूं कि अमेरिकी छात्र अन्य भाषाओं के आगे भारतीय भाषाओं को वरीयता नहीं दे रहे हैं।”
सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 2013 में विदेशी भाषाओं में पंजीकरण में वर्ष 2009 की अपेक्षा 6.7 फीसदी तक की गिरावट आई है।
केवल चार विदेशी भाषाओं -कोरियन, अमेरिकी साइन भाषा, पुर्तगाली और चीनी- में पंजीकरण में वृद्धि देखी गई।
अमेरिका में सर्वाधिक अध्ययन की जाने वाली विदेशी भाषाओं में स्पेनिश (लगभग 8,00,000 पंजीकरण), और फ्रांसीसी (लगभग 2,00,000 पंजीकरण) रही हैं।