लखनऊ, 11 दिसम्बर- राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुख्य मुद्दई हाशिम अंसारी के बयान पर मची हलचल के बाद अब इस मामले में एक नया मोड़ आने की संभावना बन रही है। बाबरी एक्शन कमेटी विवादित जमीन पर नमाज पढ़ने की इजाजत के लिए न्यायालय जाने की तैयारी में जुटी हुई है।
कमेटी इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है, जहां इस विवाद से संबंधित मुकदमा विचाराधीन है।
बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक और रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद मामले में पैरवीकार जफरयाब जिलानी ने आईएएनएस को बताया कि इस मुद्दे पर न्यायालय जाने से पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) कमेटी में चर्चा होगी।
बकौल जिलानी, “कमेटी के सदस्य मुश्ताक अहमद सिद्दिकी छह दिसंबर को अयोध्या गए थे और उन्होंने हाशिम अंसारी से मुलाकात की थी। मुलाकात के दौरान ही यह प्रस्ताव सामने आया था। वहां कमेटी की एक बैठक हुई थी और उसमें भी इस मुद्दे को रखा गया था।”
जिलानी ने कहा कि बाबरी एक्शन कमेटी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य इस मुद्दे पर विचार करेंगे और बोर्ड के सभी सदस्यों की सहमति के बाद इस पर आगे कदम बढ़ाया जाएगा।
इस बीच, एआईएमपीएलबी के सदस्य और शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने इस पहल का स्वागत किया है। उन्होंने आईएएनएस से कहा, “अगर इस तरह की कोई पहल हो रही है तो यह स्वागत योग्य है। अगर वहां मुसलमानों को नमाज की इजाजत मिलती है तो यह अच्छी पहल होगी।”
बाबरी एक्शन कमेटी के एक सूत्र के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर, राम जन्मभूमि की विवादित जमीन का एक-तिहाई हिस्सा मुस्लिमों का है, और कमेटी ने हाल ही में उस जमीन पर कब्जा लेने का प्रस्ताव पारित किया है।
सूत्र ने कहा कि कमेटी सर्वोच्च न्यायालय से अपील करेगी कि उस एक-तिहाई भाग पर मुसलमानों को नमाज पढ़ने की इजाजत दी जाए, क्योंकि विवादित जमीन होने के बावजूद वहां हिंदुओं की पूजा लगातार जारी है।
दूसरी ओर, राम जन्मभूमि मामले के एक अन्य पक्षकार निर्मोही अखाड़े ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
अखाड़े के महंत रामदास ने अपनी प्रतिक्रिया में आईएएनएस से कहा, “इस तरह का कोई भी प्रस्ताव लाए जाने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है।”
रामदास ने कहा, “कमेटी का यह प्रस्ताव राजनीति से प्रेरित है। कमेटी यह प्रस्ताव लाकर मुस्लिम समाज को गुमराह करना चाहती है। स्थगन आदेश के मुताबिक विवादित स्थल पर किसी तरह का नया काम नहीं हो सकता है।”
उल्लेखनीय है कि बाबरी विवादित ढांचे की बरसी (छह दिसंबर) से कुछ दिन पहले ही हाशिम अंसारी ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया था कि अब रामलला तिरपाल में नहीं रहेंगे। अंसारी के इस बयान की हालांकि धर्माचार्यो ने भी सराहना की थी।
बाद में हालांकि वह अपने बयान से पलट गए थे और उन्होंने कहा था कि रामजन्म भूमि-बाबरी मामले की सुनवाई त्वरित अदालत में होनी चाहिए और इसके लिए एक विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया जाना चाहिए ताकि मामले का जल्द से जल्द समाधान निकल सके।