गुवाहाटी, 23 जून (आईएएनएस)। कांग्रेस के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को राजभवन के सामने धरना-प्रदर्शन किया और राज्यपाल के खिलाफ नारेबाजी की।
गौरतलब है कि नागालैंड के राज्यपाल पी. बी. आचार्य के पास असम का अतिरिक्त प्रभार है।
राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की सरकार ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से अनुरोध किया है कि या तो राज्यपाल आचार्य पर अंकुश लगाया जाए या उन्हें अतिरिक्त प्रभार से मुक्त किया जाए।
कांग्रेस का आरोप है कि राज्यपाल द्वारा हाल में दिए गए कुछ बयान राज्य की सर्वोच्च संवैधानिक पद की पवित्रता और गरिमा को गिराने वाले रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी भेजा है, जिसमें कहा गया है कि आचार्य असम में न सिर्फ किसी पार्टी विशेष के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं, बल्कि शिक्षा के ‘भगवाकरण की भी कोशिश’ कर रहे हैं।
ज्ञापन में कहा गया है, “जैसे कि 20 जून को आचार्य ने सिल्चर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में कांग्रेस के 60 वर्षो के कार्यकाल के दौरान पार्टी ने देश को मुगलों और ब्रिटिशों से भी अधिक लूटा।”
एपीसीसी के प्रवक्ता एवं असम के पूर्व मंत्री रिपुन बोरा ने कहा कि राज्यपाल आचार्य संवैधानिक संकल्पों का उल्लंघन करते हुए एक विपक्षी राजनीतिक दल के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “राज्यपाल ने हाल ही में डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय बोर्ड में 10 सदस्यों को नामित किया। हालांकि तय मानकों के विपरीत नामांकित व्यक्तियों में से चार के पास तो पर्याप्त योग्यता तक नहीं है। हां सभी के पास एक योग्यता जरूर है कि वे सभी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य हैं।”