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आम बजट से वैज्ञानिक निरुत्साहित

बेंगलुरू, 3 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत आम बजट को भले ही विकास परक कहा जा रहा हो, लेकिन देश के वैज्ञानिक समुदाय उससे निरुत्साहित है।

बेंगलुरू, 3 मार्च (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत आम बजट को भले ही विकास परक कहा जा रहा हो, लेकिन देश के वैज्ञानिक समुदाय उससे निरुत्साहित है।

सरकार ने विज्ञान, परमाणु ऊर्जा, रक्षा, स्वास्थ्य, मृदा विज्ञान, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित मंत्रालयों के विभिन्न विभागों के शोध के लिए बजट में 356 अरब रुपये (छह अरब डॉलर) आवंटित किए हैं। यह गत वर्ष के आवंटन से 17.2 फीसदी अधिक है। लेकिन कुल 17,775 अरब रुपये के बजट का सिर्फ दो फीसदी है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि बजट में विज्ञान शब्द का यदा-कदा जगह ही उपयोग किया गया है।

2004 से पूर्व प्रधानमंत्रियों के वैज्ञानिक सलाहकार सीएनआर राव ने कहा कि देश में विज्ञान को आवंटित राशि अब भी काफी कम है। राव ने आईएएनएस से कहा, “नाकाफी फंडिंग के कारण हमारा विज्ञान अब भी बुरी स्थिति में है।”

सिर्फ 10 दिन पहले ही हजारों पीएचडी स्कॉलरों ने फेलोशिप राशि बढ़ाने के लिए देशव्यापी प्रदर्शन किया था। राव ने कहा कि इस साल के बजट में विज्ञान संबंधी कोई नई परियोजना शुरू नहीं की गई। उन्होंने कहा, “यहां तक कि मौजूदा परियोजना के लिए भी पैसे कम पड़ रहे हैं।”

राव ने कहा, “प्रधानमंत्री से मेरा अनुरोध है कि अब भी देरी नहीं हुई है और विज्ञान के लिए अतिरिक्त आवंटन किया जाए।”

नई दिल्ली के इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के पूर्व अध्यक्ष और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरू के प्रोफेसर एम. विजयन ने कहा कि उन्हें भी आश्चर्य हुआ कि आवंटन में विज्ञान को तवज्जो नहीं दिया गया।

बजट में कर्नाटक में एक और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना और छह और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जैसे संस्थान की स्थापना भी कोई उल्लास नहीं जगा पाया। राव ने कहा कि यह निर्थक गतिविधि है, क्योंकि पहले स्थापित ऐसे कई संस्थान अब भी प्रमुख पद पर नियुक्ति के लिए मोहताज हैं और उनमें प्रयोगशाला सुविधा नहीं है।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव के. विजय राघवन ने हालांकि आईएएनएस से कहा, “बजट विज्ञान के लिए अच्छा रहा। कोई कटौती नहीं की गई। आवंटन थोड़ा बढ़ाया ही गया और उद्यमिता में नए अवसर खुले।”

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमीरेट्स सुभाष लखोटिया ने कहा, “आवंटन ही अकेले काफी नहीं है, जब तक कि राशि समय पर उपलब्ध नहीं हो।”

लेकिन बजट में स्टार्टअप कारोबार के सभी पहलुओं में मदद के लिए स्वरोजगार और प्रतिभा उपयोग (सेतु) की स्थापना के प्रावधान का व्यापक तौर पर स्वागत किया जा रहा है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास के निदेशक भास्कर राममूर्ति ने आईएएनएस से कहा, “यदि ठीक तरह से कार्यान्वित किया गया, तो इन कदमों से मेक इन इंडिया और रोजगार सृजन को काफी बल मिलेगा।”

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