जयपुर, 17 सितम्बर (आईएएनएस)। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वैश्विक समुदाय को सुरक्षित, प्रभावी और आसान पहुंच वाली पारंपरिक औषधियां उपलब्ध कराने की अपनी वैश्विक रणनीति के तहत आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी पद्धति से इलाज के लिए मानक दस्तावेज विकसित कर रहा है। ऐसे तीन दस्तावेजों के लिए 17 से 19 सितंबर तक चलने वाले डब्ल्यूएचओ कार्यकारी समूह की बैठक सोमवार को यहां शुरू हुई।
जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, मानक दस्तावेजों का विकास आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच परियोजना सहयोग समझौता (पीसीए) में शामिल है। प्रतिदिन चार सत्र वाले इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन आयुष मंत्रालय ने और संयोजन राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए), जयपुर ने किया है।
इस अवसर पर आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने मंत्रालय की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयुष सुविधाओं के दस्तावेज और केरल बाढ़ में आयुष द्वारा चलाई गई हाल की पुनर्वास गतिविधियों सहित अन्य गतिविधियों के दस्तावेज निर्माण में राष्ट्रीय आयुष रुग्णता तथा मानकीकृत शब्दावली इंजन (एनएएमएसटीई) का सक्रिय इस्तेमाल हो रहा है।
उन्होंने भारत सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों के बारे में बताया और सुझाव दिया कि डब्ल्यूएचओ इसके लिए मदद कर सकता है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ से भारत के लिए एक विशेष मॉड्यूल और एम.योगा एवं एम.आयुर्वेद जैसे कार्यक्रम आधारित एप्लीकेशन विकसित करने में आयुष मंत्रालय को मदद करने का आग्रह किया।
बयान के अनुसार, डब्ल्यूएचओ द्वारा विकसित दस्तावेज के प्रारूप को सलाहकार प्रक्रिया के जरिए 18 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 39 विशेषज्ञ समीक्षा करेंगे। इनमें आयुर्वेद, पंचकर्म और यूनानी चिकित्सा पद्धति से 13-13 विशेषज्ञ शामिल हैं।
बयान में डब्ल्यूएचओ की उपमहानिदेशक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि पारंपरिक औषधियां सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज कार्यक्रम खासकर सतत विकास लक्ष्य-3 (एसडीजी-3) का एक अहम हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद, सिद्धा और यूनानी पद्धति को आईसीडी अध्याय-11 के दूसरे पारंपरिक औषधि मॉड्यूल में शामिल किया गया है।