नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। संसद के मानसून सत्र के आरंभ होने में करीब एक माह शेष है और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को देश में बहुप्रतीक्षित आर्थिक सुधारों में विलंब के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है।
जेटली ने इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लागू करने की 41वीं बरसी पर अपने ब्लॉग में यह आरोप मढ़ा है। उन्होंने लिखा है स्वतंत्रता के बाद के कांग्रेस के इतिहास पर कोई नजर डालेगा तो इस पर दो दशकों से आर्थिक सुधारों में देरी, भारत को एक राजवंशीय लोकतंत्र में बदलने, 1975 में आपातकाल लागू करने, ऑपरेशन ब्लू स्टार और भ्रष्टाचार जैसे कई धब्बे हैं।
जेटली ने कांग्रेस के विभिन्न फैसलों खासकर इंदिरा गांधी के फैसलों पर सवाल उठाया। उनके अनुसार, वह राजनीतिक रूप से प्रतिकूल साबित हुईं।
मंत्री ने कहा, “मैं आश्चर्य करता हूं कि कांग्रेस के मौजूदा नेतृत्व का इस पर कोई नजरिया है क्या? क्या कांग्रेस में कभी इन मुद्दों पर आंतरिक बहस होगी?”
जेटली के इस हमले को विपक्षी दल कांग्रेस को दरकिनार करने के दूसरे प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को संसद में एक साल से लटकाए हुए है।
केंद्र सरकार जहां इस संविधान संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए जल्द से जल्द समर्थन जुटाने में लगी है, वहीं कांग्रेस चाहती है कि उसके समर्थन के बदले सरकार उसके प्रस्तावित बदलावों को स्वीकार करे।
जुलाई के तीसरे हफ्ते से संसद का मानसून सत्र शुरू होने की संभावना है।
अपने ब्लॉग में जेटली ने कांग्रेस पर आपातकाल के दौरान देश को सर्वसत्तावादी देश में बदल देने का आरोप लगाया है।
जेटली ने कहा है, “आपातकाल का असर देश पर तानाशाही थोपने के रूप में हुआ। सभी राजनीतिक विरोधियों को हिरासत में ले लिया गया। हिरासत में लिए गए लोगों द्वारा अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ अदालत में दी गई चुनौती की सुनवाई करने का अदालतों का अधिकार निलंबित कर दिया गया। सर्वोच्च न्यायालय तानाशाह के समक्ष ढह गया। प्रेस पर पहले से ही सेंसर लग गया। प्रेस तानाशाह का प्रवक्ता हो गया।”
मीडिया और सर्वोच्च न्यायालय का तानाशाही के समक्ष धराशायी हो जाना उस समय की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी।