लंदन, 5 दिसम्बर (आईएएनएस)। जलवायु परिवर्तन को लेकर 159 देशों के उत्सर्जन लक्ष्यों के मुताबिक, ग्लोबल वॉर्मिग को दो डिग्री तक सीमित करने को लेकर ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए दुनिया को एक महत्वाकांक्षी जलवायु नीति की जरूरत है।
भारत सहित कई विकासशील देश अपने उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के प्रयास में हाल में शामिल हुए हैं।
वीटीटी टेक्निकल रिसर्च सेंटर ऑफ फिनलैंड ने चेतावनी देते हुए कहा कि वर्तमान में तय किए गए लक्ष्यों के बावजूद, साल 2030 तक उत्सर्जन जारी रहेगा और वैश्विक तापमान को तभी दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जा सकता है, जब साल 2030 के बाद उत्सर्जन में तेजी से कटौती की जाए।
वीटीटी ने उत्सर्जन के प्रति जताई गई प्रतिबद्धता के अध्ययन के लिए 159 देशों (131 देश व यूरोपीय संघ) के उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों का विश्लेषण किया।
बड़े देशों में साल 2030 तक छह देश 10 टन से अधिक कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न करेंगे। इनमें रूस (18 टन), ऑस्ट्रेलिया (13.7 टन), चीन (13.1 टन), कनाडा (12.9 टन), अमेरिका (12.8 टन) व दक्षिण कोरिया (10.8 टन) कार्बन डाई ऑक्साइड उत्पन्न करेगा।
बेहद अधिक उत्सर्जन करने वाले देशों में चीन का उत्सर्जन साल 2030 तक 13.1 टन कार्बन डाई ऑक्साइड प्रति व्यक्ति पहुंच जाएगा, जो साल 2010 के स्तर की तुलना में लगभग 65 फीसदी अधिक है।