तराई क्षेत्र में बढ़ती गर्मी और सूरज की तपिश के बीच संक्रामक रोग का प्रकोप भी शुरू हो गया है। स्थिति यह है कि बीते दिनों की अपेक्षा प्रतिदिन रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सबसे अधिक डायरिया और बुखार कहर बरपाने लगे हैं।
फखरपुर के अकबरपुर गांव निवासी अंकुश (2) को दो दिन पूर्व बुखार के साथ उल्टी-दस्त की शिकायत हुई थी। परिजनों ने गांवों में इलाज कराया, लेकिन लाभ न होने पर जिला अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन इलाज के दौरान अंकुश ने दम तोड़ दिया।
वहीं हरदी के पचदेवरी निवासी रंजीत (2.5) व नानपारा के मेहरबान नगर निवासी वैष्णवी (5) को भी बुखार और उल्टी-दस्त की शिकायत हुई। परिजनों ने जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड आईसीयू में भर्ती कराया था, लेकिन इलाज के दौरान दोनों मासूमों ने दम तोड़ दिया।
इसी तरह दरगाह के गुलाम अलीपुरा निवासी रियासत खान की पत्नी बिट्टी ने बेटी को जन्म दिया, लेकिन जन्म के कुछ देर बाद उसकी हालत बिगड़ गई। उसका जिला अस्पताल के चिल्ड्रेन वार्ड में इलाज शुरू हुआ, लेकिन कुछ देर बाद मासूम ने दम तोड़ दिया।
उधर, महसी के बंधा निवासी तुलसी की एक वर्षीय बेटी को भी उल्टी-दस्त की शिकायत पर स्थानीय चिकित्सकों के यहां पहुंचाया गया। इलाज के दौरान हालत बिगड़ने पर निजी चिकित्सक ने जिला अस्पताल रेफर कर दिया, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही मासूम की मौत हो गई।
विभिन्न संक्रामक रोगों से ग्रसित और 210 रोगी भर्ती हुए हैं। इनमें शुभम (3), रजिया (2), शिवांशु (6) और प्रदीप (1) की हालत गंभीर बताई जा रही है।
डायरिया के लक्षण :
-बुखार के साथ बदहजमी
-भूख न लगना, मिचली आना
-मिचली के साथ पतली दस्त
-कभी-कभी उल्टी और दस्त की एक साथ
बचाव के उपाय :
-डायरिया होने की दशा में शिकंजी का घोल लगातार पिलाएं
-डायरिया के साथ बुखार होने पर माथे पर पानी की भीगी पट्टी रखें
-तली-भुनी चीजों से पूरी तरह परहेज करें
-बासी खाना या नाश्ते का प्रयोग न करें
-योग्य चिकित्सक से इलाज कराएं।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. के.के. वर्मा ने बताया, “बुखार और डायरिया से ग्रसित जिन रोगियों की जिला अस्पताल में मौत हुई है, उन सभी का इलाज परिजनों ने पहले स्थानीय स्तर पर करवाया। हालत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। सभी की स्थिति काफी गंभीर थी। बेहतर इलाज कर जिंदगी बचाने की कोशिश की गई, लेकिन पहले ही हालत इतनी गंभीर हो चुकी थी कि सुधार नहीं हुआ।”