इलाहाबाद, 14 अक्टूबर (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के अध्यक्ष अनिल यादव की नियुक्ति को अवैध करार दे दिया है। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अनिल यादव की नियुक्ति तथ्यों को छिपाकर मनमाने तरीके से किया गया।
अदालत ने कहा कि इसमें संविधान के अनुच्छेद 316 की अनदेखी हुई। इसलिए इस नियुक्ति को रद्द किया जाता है।
अनिल यादव के खिलाफ कई पीआईएल दायर किए गए थे। इन्हें मंजूर करते हुए अदालत ने कहा, “सरकार ने एक ही दिन में अनिल यादव को नियुक्त करने की सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर ली। रविवार को छुट्टी होने के बावजूद लेखपाल से डीएम मैनपुरी ने यादव के पक्ष में उनके कैरेक्टर और बिहेवियर को लेकर रिपोर्ट हासिल की। उसे तुरंत सरकार को भेज दिया गया, ताकि उनकी नियुक्ति की जा सके।”
अदालत ने कहा कि अनिल यादव आगरा के रहने वाले हैं और वहां उनके खिलाफ कई संगीन मामले थे। सरकार ने इसकी कोई रिपोर्ट नहीं मांगी और नियुक्ति के लिए गवर्नर को फाइल भेज दी। यूपीपीएससी चेयरमैन जैसे अहम पद पर ऐसे आपराधिक छवि वाले शख्स को नियुक्त करना गलत था।
अदालत का कहना था कि ऐसे पदों पर योग्य व्यक्ति और अच्छे आचरण वाले व्यक्ति की नियुक्ति होनी चाहिए।
यूपीपीएससी चेयरमैन को हटाने को लेकर प्रतियोगी छात्र संघ ने पीआईएल दायर की थी। अनिल यादव की अवैध नियुक्ति पर मंगलवार को दिनभर सुनवाई चली थी। बुधवार को उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डा. डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस यशवंत वर्मा की पीठ ने फैसला दिया।
प्रतियोगी छात्र की ओर से सतीश कुमार सिंह ने कहा कि न्याय की जीत हुई है। भ्रष्टाचार फैलाया जा रहा था, जिससे छात्रों में मायूसी थी। अदालत का फैसला आने के बाद अब उनमें खुशी का माहौल है।