कोलकाता, 30 जून (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे चार वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट्स (डब्ल्यूजेएफएसी) की कड़ी में आखिरी गश्ती पोत का गुरुवार को यहां जलावतरण किया गया। इसका निर्माण गार्डेन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड (जीआरएसई) कर रहा है।
आईएनएस तरासा का नामकरण अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के एक द्वीप के नाम पर किया गया है। इसका जलावतरण वाइस एडमिरल जयवंत कोर्डे की पत्नी अरुणा कोर्डे ने किया। जयवंत कोर्डे नौसेना के संचालन तंत्र के नियंत्रक हैं।
यह पोत कार निकोबार क्लास का तेज गति से चलने वाला गश्ती पोत का उन्नत संस्करण है। आईएनएस तरासा को जीआरएसई के राजा बागान गोदी में तैयार किया जाएगा और समुद्री परीक्षण के बाद इसे नौसेना को सौंपा जाएगा।
इस पोत को अधिकतम 35 नॉट प्रति घंटे यानी 64.82 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने के लिए डिजाइन किया गया है। यह 12-14 नॉट की गति से लगतार 2000 नॉटिकल मील यानी 3704 किलोमीटर चल सकता है।
इसमें उन्नत मशीनरी नियंत्रण प्रणाली के साथ अद्यतन 4000 सीरीज के एमटीयू इंजन लगाए गए हैं। इस पोत पर 30 एमएम तोप लगाए जाएंगे। साथ ही इस पर सबसे आधुनिक संचार उपकरण एवं रडार लगाए जाएंगे, ताकि यह पोत प्रभावी ढंग से निगरानी करने में सक्षम हो सके।
डब्ल्यूजेएफएसी वास्तव में तेज चलने वाली नौकाओं का पकड़ने और तस्करी विरोधी एवं तलाशी एवं बचाव अभियानों के लिए उपयुक्त हैं।
फॉलो-ऑन श्रृंखला में तरासा 10 कार निकोबार श्रेणी का आखिरी गश्ती पोत है, जिसे जीआरएसई ने नौसेना को दिया है।