न्यूयार्क, 24 मार्च (आईएएनएस)। स्मार्टफोन पर किसी नए एप को डाउनलोड करते वक्त यदि आप नियम एवं शर्तो को बगैर पढ़े स्वीकार कर लेते हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इसमें आपकी निजी सूचनाएं तीसरे पक्ष को देने की शर्त भी शामिल रहती है।
एक ताजा अध्ययन के अनुसार, इन नए एप से मिलने वाली सूचनाओं का प्रवाह इतना अधिक रहता है कि अधिकांश स्मार्टफोन उपयोगकर्ता इससे लगभग ‘भयभीत’ रहते हैं या ‘अनपेक्षित’ मानते हैं।
कार्नेगी मेलोन विश्वविद्यालय में किए गए एक प्रयोग में पता चला कि जैसे ही लोगों को पता चलता है कि उनकी निजी सूचना को कितनी बार साझा किया गया तो वे तुरंत अपनी सूचना साझा करने पर रोक लगा देते हैं।
प्रयोग के एक चरण में स्वीकृति प्रबंधन एप के उपयोग के लाभ का मूल्यांकन किया गया। यह एप मोबाइल उपयोगकर्ता को इस बात का नियंत्रण प्रदान करता है कि वे खुद से जुड़ी कौन-सी सूचनाएं एप के जरिए साझा करना चाहते हैं।
प्रयोग के दौरान 23 स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को प्रतिदिन एक संदेश या निजी सूचना साझा होने से संबंधित संदेश मिला। इस संदेश में उपयोगकर्ताओं को बताया गया कि उनकी भौगोलिक स्थिति, संपर्क सूची या कॉल करने से जुड़ी सूचनाएं कितनी बार साझा की गईं।
अध्ययन के लिए एंड्रॉयड 4.3 पर चलने वाले एप ‘एपउप्स’ का उपयोग किया गया।
इनमें से कुछ संदेश तो जैसे चेतावनी देने वाले थे। उदाहरण स्वरूप एक संदेश था- “आपकी भौगोलिक स्थिति को पिछले 14 दिनों में फेसबुक, ग्रुपऑन, गो लांचर एक्स एवं सात अन्य एप पर 5,398 बार साझा किया गया।”
मोबाइल उपयोगकर्ताओं से लिए गए साक्षात्कार में कुछ उपयोगकर्ताओं ने कहा कि उनसे जुड़ी सूचनाएं साझा करने की गति चकित करने वाली है।
एक प्रतिभागी ने कहा, “मुझे ऐसा लगने लगा है जैसे मेरा पीछा मेरा अपना ही फोन कर रहा हो। यह भयावह है। यह आंकड़े बहुत ज्यादा हैं।”
एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, “मुझसे जुड़ी सूचनाएं साझा करने की संख्या (356 बार) बहुत अधिक है, जिसकी मुझे अपेक्षा तक नहीं थी।”
यह अध्ययन दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में अगले माह होने वाले ‘कम्प्यूटर ह्यूमन इंटरैक्शन’ (सीएचआई)-2015 सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा।