हैदराबाद, 29 सितम्बर (आईएएनएस)। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में किसानों द्वारा खुदकुशी करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए हैदराबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को दोनों राज्य की सरकारों से दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रपट मांगी है।
संयुक्त उच्च न्यायालय ने दोनों राज्य सरकारों से खुदकुशी करने वाले किसानों के संबंध में विस्तृत जानकारी और किसानों की मदद के लिए दोनों सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताने के लिए कहा है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बी. भोसले और न्यायमूर्ति एस. वी. भट्ट की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और किसानों द्वारा खुदकुशी जैसा कठोर कदम उठाए जाने के पीछे के कारणों का अध्ययन करना चाहिए।
जनहित याचिका में अदालत से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सरकारों को किसानों की खुदकुशी रोकने के लिए दूरदर्शी कदम उठाए जाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायालय ने यह भी कहा कि खुदकुशी करने वाले किसानों के परिवार वालों को मुआवजा देने भर से कोई फायदा नहीं होने वाला।
अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि अब तक सरकार ने किसानों की खुदकुशी के कारणों का पता लगाने के लिए कोई समिति गठित क्यों नहीं की, जबकि सरकारें हर मामले में समितियां गठित करती ही रहती हैं।
अदालत ने मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
जनहित याचिका दाखिल करने वाली गैर सरकारी संस्था ‘व्यवसाय जन चैतन्य समिति’ का कहना है कि दोनों राज्यों में आर्थिक तंगी के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हैं।
याचिककर्ता ने अदालत को बताया कि आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है और पिछले एक वर्ष में तेलंगाना में 1,347 और आंध्र प्रदेश में 160 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।