तिरुवनंतपुरम, 29 नवंबर (आईएएनएस)। आगामी 20वें केरल अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव (आईएफएफके) में फ्रांसीसी फिल्म निर्माता टोनी गैटलिफ की कुछ चुनिंदा फिल्मों को प्रदर्शित किया जाएगा। इनके माध्यम से उनके संवेदनापूर्ण भावों का विश्लेषण किया जाएगा।
‘कंटेम्परेरी मास्टर’ श्रेणी में दिखाई जाने वाली उनकी फिल्मों में ‘गाडजो दिलो’ (1997), ‘जेई सुईस नी डी उने सिगोग्ने’ (1998), ‘स्विंग’ (2001), ‘एक्जिल्स’ (2004) और ‘ट्रांसिल्वेनिया’ (2006) शामिल हैं।
गैटलिफ की फिल्मों में दुनिया के सर्वाधिक वंचित एवं बहिष्कृत लोग हैं। चाहे वे पारसी बस्तियों के निवासी हों या अपने घरों से दूर रहने वाले निर्वासित और आप्रवासी लोग हों। रोमानी लोग (जिन्हें जिप्सियों के जरिये जाना जाता है) उनके दिल के काफी करीब हैं। टोनी का खानाबदोश रोमा से आंशिक तौर पर जुड़ाव है और यही कारण है कि रोमा के जीवन, उनके तौर-तरीके तथा उनकी परंपराएं टोनी की फिल्मों की विशेषता है।
‘गाडजो दिलो’ (क्रेजी गाडजो) में, गैटलिफ की प्रसिद्ध रचना ‘लाचो ड्रोम’ के अंश को शामिल किया गया है जो 1992 के रोमा संगीत के प्रति संगीतमय श्रद्धांजलि है, जिसमें रोमा संगीत की राजस्थान से रोमानिया, हंगरी और भूमध्य की यात्रा को वर्णित किया गया है। गाडजो दिलो में सुर की तलाश में रोमा जगत में प्रवेश करने वाले एक बाहरी व्यक्ति का चित्रण है।
‘जेई सुईसने डी उने सिगोगने’ (सारस के बच्चे) में विस्थापन तथा बेहद मुश्किल हालातों का सामना करने के दौरान मानवता और हास्य की तलाश जैसे विषयों को उठाया गया है। वास्तविक सारस उत्पीड़न का प्रतीक है और कोई बड़ी क्षति मूर्खता और मार्मिकता दोनों को जन्म देती है।
‘स्विंग’ में एक बार फिर रोमा को दिखाया गया है, इस बार पश्चिमी यूरोप एवं उनके मानौचे जाज की संगीत परम्परा को उजागर किया गया है। इसमें गर्मी की छुट्टियों के दौरान दो बच्चों के बीच के बंधन को दिखाया गया है। इनमें से एक बच्चा कारवां का है और दूसरा अन्य शहर का है। फिल्म का समृद्ध संगीत पात्रों के मूड एवं उनकी शैली को प्रतिध्वनित करता है।
‘एक्सिल्स’ में गैटलिफ ने असमान संस्कृतियों को आपस में जोड़ते संगीत और नृत्य के बीच के बंधन को प्रस्तुत किया है। इस फिल्म में वह अपने स्वदेश की यात्रा करते दो समर्पित बोहेमियांस के माध्यम से अल्जीरिया में अपनी जड़ों की ओर लौटते हंै जो एक आध्यात्मिक अभियान बन जाता है।
‘ट्रासेल्वानिया’ की मूल कथा प्यार के लिये एक निजी यात्रा पर आधारित है। इसमें रोमानिया के गॉथिक हृदय के जरिये अपने प्रेमी और खुशी का एक और मौका तलाशती एक औरत की तलाश को दिखाया गया है। अपनी पहचान को स्वेच्छा से खो देना और उसकी तलाश इस फिल्म के मुख्य विषय हैं।
इस पुनरावलोकन के लिए चुनी गई फिल्में टोनी गैटलिफ की खास शैली में दुनिया के भीतर की दुनिया और लोगों के भीतर के लोगों को दिखाती हैं। ये फिल्म जीवन का स्वाद देती हैं, सीमांत पर जीने वाले लोगों को दिखाती हैं। हर फिल्म आधुनिकता की इस दुनिया के भीतर के लोगों तथा उनके जीवन का रूप प्रस्तुत करती है। हर फिल्म आधुनिकता की शर्तों के खिलाफ जीवन एवं विद्रोह को प्रस्तुत करती है।
‘आईएफएफके’ चार दिसंबर से 11 दिसंबर तक आयोजित होगा।