इस्लामाबाद, 18 जनवरी (आईएएनएस)। न्यायमूर्ति आसिफ सईद खान खोसा ने शुक्रवार को पाकिस्तान के 26वें प्रधान न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली।
खोसा सर्वोच्च न्यायालय के उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को राजनीति करने के लिए अयोग्य ठहराया था और ईशनिंदा के आरोप में मृत्युदंड की सजा पाने वाली ईसाई महिला की सजा को माफ किया था।
जियो न्यूज की रपट के अनुसार, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने एक समारोह में प्रधानमंत्री इमरान खान, सरकार और सेना के शीर्ष अधिकारियों, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों और गणमान्यों के समक्ष न्यायमूर्ति खोसा को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
वह जस्टिस साकिब निसार का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल गुरुवार को समाप्त हुआ।
रपट के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश खोसा 21 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होंगे।
उन्हें पाकिस्तान के क्रिमनल लॉ के शीर्ष विशेषज्ञों में शुमार किया जाता है।
अपने फैसलों में साहित्य का उल्लेख करने के लिए ‘पोएटिक जस्टिस’ के रूप में प्रसिद्ध खोसा ने कहा, “मैं बिना किसी डर और पक्षपात के कानून के अनुसार सभी लोगों के लिए सही काम करूंगा।”
खोसा सर्वोच्च न्यायालय के उस पैनल का हिस्सा थे जिसने 2008 में ईशनिंदा का आरोप झेल रही महिला आसिया बीबी की मृत्युदंड की सजा को पलट दिया था। इस फैसले के बाद देश में काफी हिंसा हुई थी।
इसके अलावा खोसा उन न्यायधीशों की पीठ में शामिल थे जिसने 2017 में भ्रष्टाचार के आरोप के बाद नवाज शरीफ को राजनीति के लिए आजीवन अयोग्य करार दिया था।
न्यायमूर्ति खोसा ने अपने लगभग दो दशक के लंबे करियर में लगभग 55,000 मामलों पर फैसला सुनाया है। उनके नेतृत्व वाली एक विशेष पीठ 2014 से अब तक 10,000 से अधिक आपराधिक मामलों पर फैसला सुना चुकी है।
इस अवसर पर न्यायमूर्ति खोसा ने कहा कि देशभर की सभी अदालतों में 19 लाख मामले लंबित हैं, जबकि देश में न्यायाधीशों की संख्या केवल 3,000 है। इसलिए कुछ ढांचागत और व्यवस्थागत बदलाव की जरूरत है और समय बड़े और सख्त फैसले लेने का आ गया है।