टोरंटो, 13 जून (आईएएनएस)। बचपन में माता-पिता की घरेलू हिंसा को देखने वाले लोगों के आत्महत्या के प्रयास करने का खतरा उनसे ज्यादा होता है जो ऐसा नहीं देखे होते। इसका पता एक नए शोध से चला है।
इस शोध पत्र की प्रमुख लेखक टोरंटो विश्वविद्यालय की इस्मे फुलर थॉमसन ने कहा, “हमें उम्मीद थी कि माता-पिता के बीच लंबे समय तक चली घरेलू हिंसा और बाद में आत्महत्या के प्रयासों पर बच्चों का यौन या शारीरिक उत्पीड़न या उनकी मानसिक बीमारी प्रकाश डालेगा।”
हालांकि, जब इन कारणों पर ध्यान दिया तो जो बचपन में माता-पिता के पुराने घरेलू हिंसा के साक्षी रहे थे वे दोगुने से भी अधिक आत्महत्या की कोशिश की कर चुके थे।
यह अध्ययन कनाडा के एक राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व वाले सैंपल से किया गया है, जिसमें 22 हजार 559 घरों का नमूना शामिल किया गया था। इसमें 2012 के कनाडियन कम्युनिटी हेल्थ सर्वे मेंटल हेल्थ के आंकड़े इस्तेमाल किए गए।
माता-पिता की घरेलू हिंसा को तब पुराना कहा जाएगा जब बच्चे की उम्र 16 साल होने से पहले 10 बार से अधिक हुआ हो।
अध्ययन निष्कर्ष से पता चलता है कि जिन लोगों ने बचपन में घरेलू हिंसा देखी होती है, उन युवाओं के जीवन में आत्महत्या की प्रवृत्ति 17.3 फीसदी होती है। जबकि जो लोग ऐसा नहीं देखे होते हैं, उनमें ऐसी प्रवृत्ति 2.3 फीसदी होती है।
यह अध्ययन रपट ऑनलाइन जर्नल चाइल्ड : केयर, हेल्थ एंड डेवलपमेंट में प्रकाशित हुई है।
फुलर थामसन ने कहा, “जब घर में घरेलू हिंसा पुराना हो तो बच्चों में दीर्घकालिक नकारात्मक परिणाम आने का खतरा रहता है। यह स्थिति तब भी होती है जब बच्चों के साथ ऐसा दुर्व्यवहार नहीं हुआ हो।”
फुलर ने आगे कहा है, इस तरह घर के अराजक माहौल की लंबी काली छाया पड़ती है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े पेशेवरों को अनिवार्य रूप से ऐसी घरेलू हिंसा को रोकने के लिए सतर्कता बरतने और इस तरह के माहौल से निकले लोगों को और उनके बच्चों की सहायता करने की जरूरत है।