नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि चर्चा एवं परिचर्चा संसद की आत्मा है। इससे नए विचार सामने आते हैं, जिससे देश को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री ने ये बातें गुरुवार को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले संवाददाताओं से कही।
मोदी ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, “मुझे आशा है कि विचार, चर्चा और चिंतन से देश को बेहतर बनाने के लिए नए-नए विचार सामने आएंगे।”
उन्होंने कहा, “चर्चा और परिचर्चा संसद की आत्मा है।”
मोदी ने कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि संसद के सभी सदस्य जनता की उम्मीदों को पूरा करने की दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
संविधान उम्मीद की किरण करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं जब ‘होप’ कहता हूं, तो एच से मेरा मतलब ‘हारमनी’ (सद्भाव), ओ से ‘ऑपच्र्युनिटी’ (अवसर), पी से ‘पीपुल्स पार्टिसिपेशन’ (जन भागादीरी) और ई से ‘इक्वलिटी’ (समानता) होता है।”
संसद का शीतकालीन सत्र 23 दिसंबर को समाप्त होगा।
इस सत्र में कई आर्थिक सुधार विधेयक सरकार के एजेंडे में हैं, जबकि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक को पारित करवाना सरकार की प्राथमिकता है।