(खुसुर-फुसुर)– मप्र कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में चेंबर में बैठने वाले एक कद्दावर पदाधिकारी के पास एक बैंक अधिकारी आई.चूंकि महाशय एक संस्था के प्रमुख भी हैं अतः उस महिला का मकसद अपने बैंक के लिए संस्था के खाते खुलवाना था.
कहते हैं आदतें बदलती नहीं हैं,महाशय ने अति प्रसन्नता से सम्पूर्ण मप्र में खाते खुलवाने का भरोसा दे दिया और उन महोदय को अपने फार्म हॉउस पर आने का एवं अमरुद खाने का निमंत्रण भी.
लेकिन महाशय के अरमान तब ठन्डे हो गए जब महिला अधिकारी के साथ आई महिला ने परिचय दिया की मैडम के पति भी भोपाल में ही उच्च पुलिस अधिकारी हैं.महोदय का चेहरा देखने लायक बनता था,उनके हाथों से तोते उड़ गए,सारे अरमानों पर पानी फिरता देख साहब ने उन अधिकारी महोदया को टाल दिया की फिर कभी देखेंगे खाते खोलने का सिस्टम.
अब ये भी क्या करें आखिर बन्दर कभी गुलाटी मारना तो छोड़ता नहीं.वह तो भला हो खबरनवीसों का जो वहां उपस्थित थे वेरना यह घटना भी दबी रह जाती और साहब भागवत सुनाते रह जाते.