रांची, 15 जून (आईएएनएस)। झारखंड में राज्यसभा चुनाव में पर्याप्त मत होने के बावजूद अपने संयुक्त उम्मीदवार की हार पर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) तथा कांग्रेस हैरान हैं।
बीते 11 जून को राज्यसभा चुनाव का परिणाम जारी होने के बाद संयुक्त विपक्ष को झटका लगा है।
मुख्य विपक्षी पार्टी झामुमो, कांग्रेस, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) तथा वाम दल ने राज्यसभा चुनाव मिलकर लड़ा था। उनके पास कुल 30 विधायक थे, लेकिन उनके उम्मीदवार झामुमो के बसंत सोरेन चुनाव हार गए।
कुल 82 सदस्यों वाली विधानसभा में राज्यसभा चुनाव में 79 विधायकों ने मतदान किया था। संयुक्त विपक्ष के 30 में से 28 विधायकों ने मतदान किया, लेकिन संयुक्त विपक्ष को केवल 26 मत ही मिले। इसका फायदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार महेश पोद्दार को मिल गया, जो दूसरी वरीयता के मत के आधार पर चुनाव जीत गए।
संयुक्त विपक्ष के दो विधायकों ने मतदान में पार्टी लाइन से हटकर मतदान किया। उनके नाम का खुलासा नहीं हुआ है।
झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाताओं से कहा, “भाजपा ने लोकतांत्रिक प्रणाली का गला घोंटा है। सत्तारूढ़ भाजपा पहले तो कांग्रेस के दो विधायकों के खिलाफ वारंट जारी करती है तथा झामुमो के एक विधायक को गिरफ्तार कर लेती है और फिर चुनाव जीतने के लिए क्रॉस वोटिंग का सहारा लेती है।”
विपक्ष के दो विधायकों (एक कांग्रेस तथा एक झामुमो) ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। झामुमो के विधायक चमरा लिंडा को गिरफ्तार कर लिया गया था और वे अस्पताल में थे। कांग्रेस विधायक देवेंद्र सिंह ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। राज्यसभा चुनाव से पहले देवेंद्र सिंह तथा निर्मला देवी के खिलाफ वारंट जारी किया गया था।
निर्मला अंत में पूर्व मुख्यमंत्री व झामुमो नेता हेमंत सोरेन की गाड़ी से मतदान करने विधानसभा आईं।
कांग्रेस सूत्रों ने आईएएनएस से कहा, “राज्यसभा चुनाव में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले दोनों विधायक देवेंद्र सिंह तथा निर्मला देवी के खिलाफ केंद्रीय नेताओं को रपट भेज दी गई है। निर्मला देवी ने मतदान के लिए आने में विलंब किया, जबकि मतदान के दिन देवेंद्र सिंह ने पार्टी नेताओं से कोई संपर्क नहीं किया। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने दोनों विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए मंजूरी मांगी है।”