नई दिल्ली, 8 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार रबीन्द्र नाथ टैगोर की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि एक शताब्दी बीत जाने बाद भी टैगोर ने अपनी प्रासंगिकता नहीं खोई है।
मुखर्जी ने एक संदेश में कहा, “मैं देशवासियों के साथ एशिया के पहले साहित्य नोबेल पुरस्कार विजेता और भारत की सबसे प्रबुद्ध हस्तियों में से एक गुरुदेव रबीन्द्र नाथ टैगोर को उनकी 154वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”
उन्होंने कहा, “यह महत्वपूर्ण बात है कि एक सदी के अंतराल के बात भी टैगोर ने प्रासंगिकता नहीं खोई है।”
राष्ट्रपति ने कहा, “एक ओर, उनका साहित्यिक राग भारत और दुनिया भर में उनके लाखों प्रशंसकों का दिल जीत रहा है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा, ग्राम पुनर्निर्माण, सहकारी प्रयास और अन्य विषयों पर उनके विचार और उनकी अवधारणाएं बेहतर और उज्जवल दुनिया के लिए हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं।”
राष्ट्रपति ने कहा, “गीतांजलि से उनके शब्द हवा में गूंजने दें – जहां मन निर्भय है और सिर ऊंचा है। मेरे पिता, स्वतंत्रता के उस स्वर्ग में मेरा देश जागे।”
राष्ट्रपति ने कहा, “1913 में टैगोर साहित्य का नोबल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय बने थे। वह हमारे राष्ट्रगान के लेखक हैं।”