चेन्नई, 16 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में उतार-चढ़ाव से भरे तीन वर्षो के बाद सत्तारूढ़ एआईएडीएमके को चौथे साल में तगड़ा झटका लगा। यह करारा झटका उस वक्त लगा, जब पार्टी महासचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को न्यायालय के एक फैसले के बाद गद्दी छोड़नी पड़ी।
चेन्नई, 16 मई (आईएएनएस)। तमिलनाडु में उतार-चढ़ाव से भरे तीन वर्षो के बाद सत्तारूढ़ एआईएडीएमके को चौथे साल में तगड़ा झटका लगा। यह करारा झटका उस वक्त लगा, जब पार्टी महासचिव और तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता को न्यायालय के एक फैसले के बाद गद्दी छोड़नी पड़ी।
जयललिता के लिए 27 सितंबर, 2014 तक सब ठीक था। मई 2011 में उन्होंने 234 में 203 विधानसभा सीटें जीती थीं। इसके अतिरिक्त सरकार के खाते में एक और उपलब्धि जुड़ी। कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण द्वारा फरवरी 2013 में दिए गए अंतिम फैसले को केंद्र सरकार अधिसूचित करने के लिए मजबूर हुई।
राज्य सरकार ने मुल्लापेरियार बांध का जलस्तर बढ़ाने से संबंधित एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय में केरल के खिलाफ जीत हासिल की थी।
2014 के आम चुनाव में तो जयललिता ने विपक्ष का सूपड़ा साफ कर दिया। राज्य की 39 लोकसभा सीटों में से 37 सीटें जीत ली।
लेकिन 27 सितंबर को कर्नाटक की एक निचली अदालत ने आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता को चार साल कैद की सजा सुनाकर अम्मा का रथ रोक दिया। ऐसा लगा जैसे कि कोई तूफान अन्नाद्रमुक से टकरा गया।
वह भावुकता और चाटुकारिता का दुर्लभ दृश्य था, जब ओ. पन्नीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री और कई अन्य ने मंत्री पद की शपथ रोते हुए ली थी।
और फिर, पन्नीरसेल्वम सरकार के निर्णय लेने में सक्षम न हो पाने के कारण विपक्ष को अन्नाद्रमुक सरकार पर हमले का मौका मिल गया।
एक इंजीनियर ने इसलिए खुदकुशी कर ली क्योंकि उस पर कुछ लोगों को ड्राइवर के पद पर तैनात करने का दबाव था। और, यह दबाव कृषि मंत्री की तरफ से था। हंगामे के बीच कृषि मंत्री एस. एस. कृष्णमूर्ति को इस्तीफा देना पड़ा।
विदेश में सौ करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद वैश्विक निवेशक सम्मेलन नहीं होने से पन्नीरसेलवम सरकार की काफी फजीहत हुई। राजनीतिक अनिश्चय के हालात में राज्य में निवेश पर असर पड़ा। लगा कि सरकार थम-सी गई है। सभी नेता अपनी नेता की मुक्ति के लिए प्रार्थना की मुद्रा में समा गए। डीएमके नेता स्टालिन ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र लिख कर कहा कि तमिलनाडु आईसीयू में है और संकेत निहायत चिंताजनक मिल रहे हैं।
मजे की बात यह है कि दोषी ठहराए जाने के बाद भी अन्नाद्रमुक सरकार ने जयललिता की छवि जनता की सीएम की ही बनाए रखने की कोशिश की। कोशिश की गई कि लोगों को लोकलुभावन योजनाओं से खुश किया जाए। इसी से समझें कि पहले तीन सालों में पन्नीरसेल्वम सरकार ने करीब 95 लाख पंखे, मिक्सर और ग्राइंडर लोगों के बीच बांटे। छात्रों के बीच साढ़े 21 लाख लैपटॉप मुफ्त बांटे गए।
अब जबकि जयललिता बरी हो चुकी हैं तो माना जा रहा है कि राज्य की राजनीति करवट लेगी। राजनीति के जानकार मानते हैं कि जयललिता जोरदार वापसी कर सकती हैं। यहां तक बात हो रही है कि जयललिता की हवा का इस्तेमाल करने के लिए राज्य में मध्यावधि चुनाव हो सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषक गननी संकरन ने आईएएनएस से कहा कि 2016 के चुनाव में जयललिता के रथ को रोक पाना विपक्ष के लिए मुश्किल हो सकता है।
लेकिन जयललिता के लिए संकट अभी टला नहीं है। आय से अधिक संपत्ति मामले में अभियोजन पक्ष का कहना है कि अम्मा की आय की गणना में न्यायालय से गलती हुई है, जिसके कारण उन्हें गलत तरीके से बेगुनाह घोषित कर दिया गया है। और इसलिए सर्वोच्च न्यायालय फैसले को पलट सकता है।
लेकिन यह अभी भविष्य के गर्भ में है। जो बात अभी साफ है वह यह कि लौह महिला की सत्ता में वापसी लगभग तय है।
तमिलनाडु सरकार ने 16 मई को चार साल पूरे कर लिए हैं।