नई दिल्ली, 14 दिसम्बर (आईएएनएस)। देश की थोक और उपभोक्ता महंगाई दरें नवंबर में वृद्धि के साथ क्रमश: नकारात्मक 1.9 फीसदी और 5.41 फीसदी दर्ज की गईं। यह जानकारी सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली है।
अक्टूबर महीने में थोक और उपभोक्ता महंगाई दर क्रमश: नकारात्मक 3.81 फीसदी और 5.0 फीसदी थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा यहां जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आंकड़े के मुताबिक, देश के ग्रामीण क्षेत्रों की उपभोक्ता महंगाई दर 5.95 फीसदी और शहरी क्षेत्रों की 4.71 फीसदी दर्ज की गई। आंकड़े के मुताबिक, दलहन की उपभोक्ता महंगाई दर इस दौरान 46.08 फीसदी रही।
उपभोक्ता मूल्यों के आधार पर खाद्य महंगाई दर इस दौरान पूरे देश के लिए 6.07 फीसदी, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 5.83 फीसदी और शहरी क्षेत्रों के लिए 6.53 फीसदी रही। एक महीने पहले यह क्रमश: 5.25 फीसदी, 5.18 फीसदी और 5.47 फीसदी थी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी 2016 के लिए उपभोक्ता महंगाई दर अधिकतम छह फीसदी तक रखने का लक्ष्य तय किया है।
सुबह केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में मछली, मांस, अंडे, दाल, मसाले, फलों एवं सब्जियों की कीमतें बढ़ने से खाद्य पदार्थो के उप सूचकांक में माह-दर-माह आधार पर 2.3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है।
थोक महंगाई दर यद्यपि अभी भी नकारात्मक बनी हुई है। लेकिन यह बढ़कर नकारात्मक 1.99 प्रतिशत दर्ज की गई है, जो अक्टूबर में नकारात्मक 3.81 प्रतिशत थी। इससे पहले सितंबर में यह नकारात्मक 4.59 प्रतिशत और अगस्त में नकारात्मक 5.06 प्रतिशत थी।
थोक मूल्यों पर आधारित खाद्य महंगाई दर माह-दर-माह आधार पर 3.12 प्रतिशत, जबकि साल-दर-साल आधार पर आलोच्य महीने में 5.20 फीसदी रही।
पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस सूचकांक में भी वृद्धि दर्ज की गई, हालांकि यह अब भी नकारात्मक दायरे में है।
सब्जियों तथा दालों की कीमतों में लगातार वृद्धि के रुझान को देखते हुए फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने कृषि सुधार की जरूरत बताई है।
फिक्की के महासचिव ए. दीदार सिंह ने कहा, “आपूर्ति पक्ष की बाधाएं हटाने की जरूरत है।”
एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) ने कहा कि थोक महंगाई दर का नकारात्मक दायरे में रहना बाजार की उम्मीदों के अनुरूप है। आलू, खनिजों, डीजल, चीनी तथा लोहे की कीमतों में गिरावट ने इसमें भूमिका निभाई है।
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, “पिछले कुछ महीनों से थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट का सिलसिला मूल्य स्थिरीकरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। नीति निर्माताओं को हालांकि प्याज और दाल की कीमतों में वृद्धि को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।”