न्यूार्क, 24 मार्च (आईएएनएस)। जीपीएस एवं सैटेलाइट डाटा के माध्यम से भूकंप पीड़ित क्षेत्र में 24 घंटों के अंदर मदद भेजकर लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। एक नए शोध में यह खुलासा हुआ है।
यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा के सहायक प्रोफेसर विलियम बर्नहार्ट ने अध्ययन के लिए कैलिफोर्निया के दक्षिण नापा में 24 अगस्त, 2014 को आए भूकंप के समय जीपीएस एवं सैटेलाइट से एकत्रित आंकड़ों की मदद ली।
उन्होंने भूकंप के बाद सतह की बनावट के बदलाव का थ्रीडी मैप विकसित किया। यह मैप उन्होंने त्वरित प्रतिक्रिया उपकरणों जैसे सीसमोमीटर की सहायता के बिना तैयार किया।
अध्ययन के लिए युनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के आंकड़ों का इस्तेमाल करने वाले बर्नहाट ने कहा, “भूकंप की थ्रीडी जानकारी होने से हम भूकंप के दौरान सतह में होने वाले कंपन और बदलाव का अनुमान बिना उन उपकरणों लगा सकते हैं, जो पहले कंपन को रिकॉर्ड करते हैं और उसके बाद लोगों और आधारभूत संरचना को पहुंचने वाले नुकसान के बारे में अनुमान लगाते हैं।”
यह अध्ययन जर्नल सीसमोलॉजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित हुआ है, जिसमें कहा गया है कि जीपीएस एवं सैटेलाइट का अध्ययन कर भूकंप प्रभावित क्षेत्र में जल्द से जल्द मदद भेजी जा सकती है।
यह तकनीक विकासशील विश्व के लिए काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित हो सकता है।