नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत दुनिया को अपने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए आकर्षित करने में लगा हुआ है। जबकि, भारत दौरे पर आईं दक्षिण अफ्रीका की अंतर्राष्ट्रीय मामलों और सहयोग की मंत्री मैती न्कोआना माशाबाने ने भारतीय कंपनियों को ‘मेक इन साउथ अफ्रीका’ की दावत दी।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारत दुनिया को अपने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए आकर्षित करने में लगा हुआ है। जबकि, भारत दौरे पर आईं दक्षिण अफ्रीका की अंतर्राष्ट्रीय मामलों और सहयोग की मंत्री मैती न्कोआना माशाबाने ने भारतीय कंपनियों को ‘मेक इन साउथ अफ्रीका’ की दावत दी।
भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने भारत आईं माशाबाने ने आईएएनएस से खास मुलाकात में कहा कि दक्षिण अफ्रीका भारत के साथ ऐसे सहयोग का इच्छुक है जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो।
भारत में 1999 से 2005 के बीच दक्षिण अफ्रीका की राजदूत रह चुकीं माशाबाने ने कहा, “जैसे मेक इन इंडिया है वैसे ही हम मेक इन साउथ अफ्रीका कर सकते हैं, यह सहभागिता में हो और एक-दूसरे के लिए लाभदायक हो।”
माशाबाने ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका अपने प्राकृतिक संसाधनों से लाभ उठाना चाहता है। उसकी कोशिश अफ्रीकी संघ के एजेंडा 2063 के अनुसार गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने की है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के पास कच्चा माल है। जरूरत लोगों के कौशल विकास की है।
उन्होंने कहा, “देखिए, लोग कहीं से भी नहीं आ सकते, आएं और हमारा कच्चा माल ले लें और हमें बुनियादी जानकारी तक दिए बिना चले जाएं। इसलिए हम कौशल आधारित औद्योगीकरण चाहते हैं और हम कई भारतीय कंपनियों को इस भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”
उन्होंने कहा कि भारत और दक्षिण अफ्रीका को अपने रिश्तों को इतिहास के आधार पर मजबूत बनाना चाहिए। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी जितने भारत के हैं उतने ही दक्षिण अफ्रीका के भी हैं।”
माशाबाने ने कहा कि भारत, अफ्रीका, अन्य विकासशील देशों और चीन को मिल कर गरीबी उन्मूलन से लड़ने और स्थाई विकास के लक्ष्य के लिए काम करना होगा।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत से सहयोग के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हमें ‘समान लेकिन भिन्नता प्रदान करने वाली जिम्मेदारियों’ की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भारत व अन्य देशों के साथ चाहेंगे कि पेरिस के जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का नतीजा इसी सिद्धांत के अनुसार निकले।
उन्होंने कहा, “यह सही है कि जलवायु परिवर्तन का मामला विकास से जुड़ा है लेकिन इससे भी बढ़कर यह अर्थव्यवस्था से जुड़ा है। इसलिए हम उन मुद्दों की रक्षा करेंगे जो हमारे लिए जरूरी होंगे।”