नई दिल्ली, 8 दिसंबर – दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट पाने तथा अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार सर्वेक्षणों का सहारा ले रहे हैं।
दिसंबर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव लड़ने वाले पार्टी के 67 उम्मीदवार अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में मतदाताओं का मन भांपने के लिए सर्वेक्षण करा रहे हैं।
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर एक नेता ने आईएएनएस से कहा कि वैसे उम्मीदवार जो बेहद कम मतों के अंतर से चुनाव जीते या हारे हैं, वे सर्वेक्षण के लिए निजी कंपनियों का सहारा ले रहे हैं, ताकि दोबारा हो रहे चुनाव में पार्टी से टिकट मिलने के बाद वह अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें।
उम्मीदवारों द्वारा यह सर्वेक्षण उन रपटों के मद्देनजर कराया जा रहा है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व उन लोगों के टिकट काट सकता है, जो दिसंबर 2013 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए थे या जिनकी उम्र काफी ज्यादा हो चुकी है। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के युवाओं को राजनीति में आने का आह्वान कर रहे हैं।
एक सूत्र ने कहा, “अगर परिणाम सकारात्मक आते हैं, तब उम्मीदवार स्थानीय जनता के समर्थन का हवाला देते हुए टिकट के लिए दावा कर सकेगा।”
पिछले वर्ष दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा के 70 में से 31 उम्मीदवार जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे, जबकि उनमें से तीन बाद में मई में हुए आम चुनावों में लोकसभा के लिए चुन लिए गए थे। दिल्ली की कम से कम आधा दर्जन सीटों पर भाजपा तथा आम आदमी पार्टी के उम्मीदवारों की बेहद कम मतों के अंतर से हार या जीत हुई थी।
सूत्रों ने कहा, “पिछली बार चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों ने हार का कारण आप की मजबूत लहर को बताया था, लेकिन उन्होंने महसूस किया है कि एक वर्ष के दौरान चीजें बदली हैं और जीत दर्ज करने का उनके पास एक मौका है।”
एक सूत्र ने कहा, “चुनाव हार चुके उम्मीदवार सकारात्मक परिणाम की आशा में निश्चित तौर पर सर्वेक्षणों का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन अगर परिणाम प्रतिकूल होता है, तब वे किसी को इस बारे में बताएंगे नहीं और चुपचाप रहकर पार्टी नेतृत्व से टिकट मिलने का इंतजार करेंगे।”
भाजपा नेता तथा दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश विधूड़ी ने कहा कि सर्वेक्षण यह पता करने के लिए मददगार है कि वे कितने पानी में हैं और अगर कोई उम्मीदवार ऐसा करा रहा है, तो इसमें क्या बुराई है।
विधूड़ी ने कहा, “बिल्कुल परीक्षा की तैयारी की तरह ही सर्वेक्षण उम्मीदवार को यह जानने में मदद करता है कि निर्वाचन क्षेत्र में उसकी स्थिति कैसी है। इसलिए इसमें कुछ भी बुराई नहीं। आखिर मीडिया भी तो हर मतदान के बाद सर्वेक्षण कराती है।”