नई दिल्ली, 23 नवंबर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय जनता दल के निलंबित विधायक राजबल्लभ प्रसाद यादव को मिली जमानत रद्द करने के लिए दायर बिहार सरकार की याचिका पर बुधवार को आदेश सुरक्षित रखा। इस साल फरवरी में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में बिहार सरकार विधायक पर मुकदमा चलाने के पक्ष में है।
न्यायमूर्ति ए. के. सिकरी और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा, “हम लोग मामले की निष्पक्ष सुनवाई को लेकर चिंतित हैं। ऐसा इस वजह से कि यह मामला बच्चों को यौन अपराधों से बचाने से जुड़े कानून (पोस्को) के तहत दायर हुआ है और इसमें एक बच्ची शामिल है। हमलोग बिहार सरकार की याचिका को खारिज करने नहीं जा रहे हैं क्योंकि हमलोग मामले की निष्पक्ष सुनवाई चाहते हैं।”
अदालत ने कहा कि वह अगले कुछ दिनों में अपने आदेश की घोषणा करेगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा इस वजह से कहा कि उसे बताया गया कि उसके निर्देश पर राजद के नवादा के विधायक को दो हफ्ते के लिए जेल भेजा गया था और अब वह अवधि समाप्त हो रही है।
अदालत ने आठ नवंबर को राजबल्लभ को आत्मसमर्पण के लिए कहा था ताकि दुष्कर्म पीड़िता निचली अदालत के समक्ष अपना बयान दर्ज करा सके।
अदालत ने जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया क्योंकि राजबल्लभ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने पीठ को यह भरोसा देने की कोशिश की कि आरोपी विधायक जब तक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, बिहार से बाहर रहेंगे।
उनकी इस दलील का अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि पीड़िता की जांच करने वाले डॉक्टर सहित कई महत्वपूर्ण गवाह हैं जो मामले की सुनवाई कर रही अदालत के समक्ष गवाही देने वाले हैं।
सुब्रमणियम ने पीठ से कहा कि राजबल्लभ को पटना उच्च न्यायालय के समक्ष दायर जिस दूसरी जमानत याचिका के तहत जमानत दी गई, उस याचिका को उस पीठ के समक्ष लाना चाहिए था जिसने उनकी पहली जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
बिहार सरकार पटना उच्च न्यायालय द्वारा राजबल्लभ को जमानत देने के खिलाफ सितंबर में सर्वोच्च न्यायालय पहुंची।
विधायक पर अपने बिहार शरीफ स्थित आवास पर एक लड़की से दुष्कर्म करने का आरोप है। घटना के प्रकाश में आने के बाद से ही राजबल्लभ को राजद से निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, वह विधानसभा में राजद के विधायक बने हुए हैं।
घटना के बाद राजबल्लभ फरार थे और मार्च में अदालत में उन्होंने आत्मसमर्पण किया था।
गत 30 सितंबर को उन्हें उच्च न्यायालय से जमानत मिली। अप्रैल में जिन पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया, राजबल्लभ यादव उनमें से एक हैं।
इन पांचों में राजबल्लभ के अलावा सुलेखा देवी का भी नाम है जिस पर आरोप है कि उसने राजद विधायक के पास उस लड़की को भेजा था।