पटना, 1 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में समाजसेवी के रूप में पहचान बनाने वाले अनिल कुमार अब राजनीति में आकर लोगों की सेवा करने की ठानी है। हाल ही में जनतांत्रिक विकास पार्टी (जविपा) के रूप में पार्टी बनाकर आगामी चुनावों में खम ठोकने के दावे के साथ उन्होंने कहा कि आज नेता खुद को ‘भगवान’ समझने लगे हैं।
पटना, 1 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में समाजसेवी के रूप में पहचान बनाने वाले अनिल कुमार अब राजनीति में आकर लोगों की सेवा करने की ठानी है। हाल ही में जनतांत्रिक विकास पार्टी (जविपा) के रूप में पार्टी बनाकर आगामी चुनावों में खम ठोकने के दावे के साथ उन्होंने कहा कि आज नेता खुद को ‘भगवान’ समझने लगे हैं।
उन्होंने बिहार की चर्चा करते हुए स्पष्ट कहा कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का कार्यकाल अगर ‘जंगलराज’ था तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यकाल ‘महाजंगलराज’ है।
जविपा के प्रमुख अनिल कुमार ने आईएएनएस को साथ विशेष बातचीत में कहते हैं कि लालू प्रसाद के जंगलराज को हटाने के नाम पर बिहार की जनता ने नीतीश को सत्ता सौंपी थी। बिहार की जनता को इससे क्या हासिल हुआ?
भोजपुर जिले के पीरो के नारायणपुर गांव के रहने वाले अनिल शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े अपने गांव में आज एक स्कूल खोल स्थानीय बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। इस स्कूल में प्रतिवर्ष 20 फीसदी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान किया जाता है। वर्तमान समय में इस स्कूल में 1500 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
आरा और बक्सर में ग्रामीण मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए दो एंबुलेंस देने वाले अनिल कहते हैं कि नरेंद्र मोदी की सरकार दलितों और महादलितों को मिले संवैधानिक अधिकारों को खत्म करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बताया कि पटना में दो जुलाई को ‘दलित-महादलित अधिकार बचाओ’ महासम्मेलन आयोजित कियया जा रहा है।
बकौल अनिल, “आज देश में दलित और महादलित तबके के लोग डरे हुए हैं। इन समुदाय के लोगों में बेचैनी है। नरेंद्र मोदी हो या बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किसी ने इन समुदायों के विकास एवं उत्थान के लिए कुछ नहीं किया। बिहार में तो नीतीश कुमार ने दलित,महादलित और पिछड़ा, अति पिछड़ा का इस्तेमाल अपने राजनीतिक खेल के लिए किया है।”
उन्होंने कहा कि एक ओर सरकारें दलित उत्थान की बातें कर रही हैं, दूसरी ओर सरकारी आंकड़े भी देश की सरकार के दावों की पोल खोलती हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, साल 2016 में दलितों पर 746 फीसदी अत्याचार के मामलों में वृद्धि हुई।
जविपा के प्रमुख कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को केवल वोट देनी वाली मशीन समझकर इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने आईएएनएस से स्पष्ट कहा कि अधिकांश राजनीतिक पार्टियों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शासन का भी मौका मिला। मगर सबों ने अपना ध्यान विकास कार्यों के बजाय अपनी शोहरत और दौलत बनाने में लगाई। इसका खामियाजा आज देश को भुगतना पड़ रहा है। देश में लोग जाति, धर्म, संप्रदाय, ऊंच-नीचे के भेदभाव को लेकर आपस में लड़ रहे हैं, जिसमें इन्हीं राजनीतिक दलों के नेताओं की सक्रियता कहीं न कहीं रहती है।
राजनीतिक पार्टी बनाने के उद्देश्य के विषय में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि समाज में फैली तमाम बुराईयों से उपर उठकर हमने जनतांत्रिक पार्टी बनाई थी, जिसका नाम अब चुनाव आयोग के रजामंदी से ‘जनतांत्रिक विकास पार्टी’ हो गई है। इसका एकमात्र एजेंडा समाज के अंतिम पायदान के लोगों की जरूरतों को पूरा करना और उनकी परेशानियों को दूर करना है।
देश में चल रहे गठबंधन की राजनीति के संदर्भ में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जविपा का उद्देश्य सत्ता में आना नहीं, बल्कि लोगों के बीच में रहकर क्षेत्र और लोगों का विकास करना है। गठबंधन की राजनीति वे कर रहे हैं, जिन्हें किसी न किसी तरह सत्ता तक पहुंचना है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि जविपा बिहार की राजनीति में एक नया आयाम प्रस्तुत करेगी।