काठमांडू, 6 मई (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण जलजले से पूरे देश में पशु जीवन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा गायों ने दूध देना काफी कम कर दिया है, साथ ही कई मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
काठमांडू, 6 मई (आईएएनएस)। नेपाल में आए भीषण जलजले से पूरे देश में पशु जीवन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा गायों ने दूध देना काफी कम कर दिया है, साथ ही कई मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
भीषण जलजले में गाय, बकरियां, भैंस, कुत्ते, मुर्गीपालन बड़े पैमाने पर किसी न किसी रूप में प्रभावित हुए हैं। नेपाल भूकंप में 7,000 लोगों के अलावा बड़ी संख्या में पशुओं की जान गई है।
काठमांडू घाटी में 60 से अधिक घरों में दूध उपलब्ध कराने वाले कल्याण चपगई ने आईएएनएस से कहा, “मेरे पास 13 गाय हैं। हर गाय प्रतिदिन तकरीबन 12 लीटर दूध देती थी। अब वे बमुश्किल छह लीटर दूध देती हैं।”
नेपाल में 25 अप्रैल को आए इस भूकंप में पशुओं के घायल होने के बाद कई ने घरेलू पशुओं को अपने हाल पर छोड़ दिया है। यहां पर मवेशियों को काफी परेशानी हो रही है।
यहां के गोलधुंगा गांव के निवासी 38 वर्षीय चपगाई ने कहा, “भूकंप के समय मेरे मवेशियों ने तेज आवाजें निकालना शुरू कर दिया था। हम किसी तरह उन्हें बचाने में सफल रहे और हमने उन्हें खुले में बांध दिया। हालांकि हमारे गांव में हर कोई यह नहीं कर पाया, जिसके कारण भूकंप से तकरीबन 60 गाय, भैंस और बछड़ों की मौत हो गई।”
उन्होंने कहा कि 7.9 तीव्रता वाले भूकंप में इमारतों और छप्परों के ढहने से कई जानवर मलबे में दब गए और कई कुचल गए।
उन्होंने कहा, “भूकंप के लगातार झटकों के कारण कई जानवर सदमे में हैं।”
कुछ मामलों में कई लोग भूकंप से खुद को नहीं बचा पाए और अब जिंदा बचे जानवरों की देखभाल करने वाला कोई नहीं बचा है।
एक अन्य दुग्ध विक्रेता श्याम तिवारी ने कहा कि दूध कम होने का कारण डर के अलावा गंदगी भरा स्थान भी हो सकता है जहां पर जानवर रहना नहीं चाहते हैं।
तिवारी ने कहा, “हमलोग दोनों मोर्चो पर लड़ रहे हैं। खुद को बचाने के साथ ही मवेशियों के लिए पर्याप्त भोजन और दवा उपलब्ध कराना कठिन होता जा रहा है।”
उन्होंने कहा, “इसके अलावा गंदगी भी दूध कम होने का एक कारण हो सकती है। बारिश के कारण स्थिति बदतर होती जा रही है।”
अधिकारियों ने कहा कि अभी भी कई शव खुले में पड़े हैं क्योंकि लोग उनके अंतिम संस्कार का प्रबंध नहीं कर पाए हैं।
तिवारी ने कहा, “कीड़े और मक्खियों ने बेचारे जानवरों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। गर्मी बढ़ने के साथ-साथ और बारिश का मौसम करीब आते-आते स्थिति और बदतर हो जाएगी।”
दूग्ध विक्रेता चपगाई ने कहा कि कई गायों को हड्डियों में चोट आई हैं ऐसे में कई बछड़ों को भी दूध पीने को नहीं मिल पा रहा है।
टोखला गांव की रहने वाली सैली खड़गे ने कहा कि मुर्गियां भी डरी हुई थीं।
पशुओं की सुरक्षा के मुद्दे पर काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ह्यूमन सोसाइटी इंटरनेशनल ने कहा कि लगभग सभी पशु डायरिया से पीड़ित हैं और ज्यादातर बकरियों में सांस की समस्या की शिकायत मिली है।