नई दिल्ली, 21 सितम्बर (आईएएनएस)। हरियाणा सरकार मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय को बताएगी कि वह पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए पात्रता मापदंड के रूप में शैक्षिक योग्यता को हटाने की इच्छुक है या नहीं, क्योंकि न्यायालय ने इस प्रावधान पर गंभीर चिंता जताई है।
राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और इसकी प्रक्रिया आठ सितम्बर को शुरू हो चुकी है।
हरियाणा पंचायती राज (संशोधन) अधिनियम 2015 के संशोधित नियम के मुताबिक, पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों का 10वीं कक्षा, जबकि दलित समुदाय के उम्मीदवारों का आठवीं कक्षा पास होना जरूरी है।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने सोमवार को न्यायमूर्ति जे.चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ को बताया कि वह अपने जबाव के साथ वापस आएंगे, क्योंकि उन्होंने पाया कि उम्मीदवारों के लिए 10वीं पास होने की शैक्षिक योग्यता पर न्यायालय को सख्त आपत्ति है।
न्यायमूर्ति चेलामेश्वर ने महान्यायवादी द्वारा हरियाणा सरकार को निर्देश देने के लिए सुनवाई स्थगित करते हुए हुए कहा, “शैक्षणिक योग्यता को लेकर हमें गंभीर आपत्ति है। हम इससे चिंतित हैं।”
हरियाणा पंचायती राज कानून में, पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए पात्रता मापदंड के रूप में शैक्षणिक योग्यता के अलावा आपराधिक पृष्ठभूमि न होना, बैंक का बकाया न होना और शौचालय होने की शर्त रखी है।
अदालत ने 17 सितंबर को हरियाणा पंचायती राज कानून के संशोधित प्रावधानों पर रोक लगा दी थी।
न्यायालय ने यह स्पष्ट करते हुए कि वह चुनाव लड़ने के लिए पात्रता मापदंड के रूप में शैक्षणिक योग्यता के खिलाफ नहीं है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत यह भेदभाव पूर्ण है, क्योंकि यह अनुच्छेद बराबर अवसर की गारंटी देता है।
न्यायालय ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता के कारण 50 फीसदी ग्रामीण आबादी से उनके उम्मीदवार होने का हक छिन सकता है। उसे इस बात को लेकर आश्चर्य है कि जहां लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता की जरूरत नहीं है, वहां पंचायत चुनाव में इसपर क्यों जोर दिया जा रहा है।
न्यायालय का रुख भांपते हुए रोहतगी ने पहले तो पंचायत चुनाव को चार सप्ताह के लिए रोकने की पेशकश की, लेकिन बाद में कहा कि शैक्षणिक योग्यता की पात्रता को अलग रखते हुए चुनाव कराया जा सकता है।
जैसे ही उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार से निर्देश लेंगे, वरिष्ठ वकील राजिंदर सच्चर ने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए शौचालय की अनिवार्यता की शर्त को भी स्पष्ट कर देना चाहिए।