भोपाल, 12 अगस्त (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में वन्य-जीव संरक्षण के लिए चल रहे काम पर राज्य वन्य-प्राणी संरक्षण बोर्ड की बैठक में चर्चा हुई। इस बैठक में मौजूद वन्य प्राणी विशेषज्ञों ने पन्ना को दुनिया के लिए वन्य प्राणी संरक्षण की पाठशाला बताया।
बोर्ड की मंगलवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वनवासी परिवारों की आजीविका भी वन्य-जीव संरक्षण के साथ-साथ जरूरी है। बेहतर वन्य-जीव प्रबंधन से वन्य-जीवों की संख्या में वृद्धि हुई है। ऐसे में उनके रहवास का दायरा बढ़ाने के लिए नियोजन की अग्रिम रणनीति बनानी होगी। वन्य-जीवों और उनके रहवास को बचाने के लिए सरकार पूरी तरह समर्पित है।
बैठक में बताया गया कि राज्य पशु बारहसिंगा की संख्या कुछ समय पहले 60 थी। बेहतर प्रबंधन से अब इनकी संख्या 600 तक पहुंच गई है। इसी साल सात बारहसिंगा को कान्हा टाइगर रिजर्व से लाकर राष्ट्रीय वन विहार, भोपाल में बसाया गया। इसी प्रकार, बांधवगढ़ से भी नर और मादा बाघ को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व लाया गया। बिना किसी नुकसान के चीतलों का पुनर्वास किया गया। पन्ना में बाघों की संख्या शून्य से 30 तक बढ़ जाने को विशेषज्ञों ने अभूतपूर्व उपलब्धि बताया।
बाघ संरक्षण विशेषज्ञ और बोर्ड की सदस्य बिलिंडा राइट ने बताया कि कजाकिस्तान और कंबोडिया में भी पन्ना के बाघ संरक्षण की चर्चा है। पन्ना ने अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वन्य-जीव संरक्षण की पाठशाला का दर्जा हासिल कर लिया है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान को अमेरिका की प्रतिष्ठित कंपनी ट्रिप एडवाईजर ने उत्कृष्टता का प्रमाण-पत्र दिया है।
उल्लेखनीय है कि पन्ना का राष्ट्रीय उद्यान एक समय में बाघ विहीन हो गया था, लेकिन यहां बांधवगढ़ व कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से बाघों को लाकर उनका पुनर्वास किया गया। यह परियोजना सफल रही, नतीजतन अब यहां बाघों की संख्या 30 को पार कर चुकी है।