शिमला, 25 मार्च (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बुधवार को विधानसभा को सूचित किया कि उच्च न्यायालय द्वारा राज्य में धार्मिक उद्देश्य से पशुओं की बलि पर लगाए गए प्रतिबंध के लिए कोई कानून लागू करने या अध्यादेश लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
प्रश्नकाल के दौरान उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में इस मुद्दे पर सरकार शीघ्र ही अपना रुख स्पष्ट करेगी।
कुल्लू के विधायक महेश्वर सिंह एवं अन्य ने शीर्ष अदालत में विशेष अनुमति याचिका दायर कर उच्च न्यायालय के 1 सितंबर 2014 को मंदिरों में पशुओं की बलि पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश को चुनौती दी है।
अदालत ने कहा था कि भगवान को खुश करने के लिए क्रूरता से वध किए जाने की वे अनुमति नहीं दे सकते।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके खिलाफ पुनर्विचार अर्जी दायर नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा करेगी।”
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रतिबंध केवल पशुओं पर ही नहीं है, बल्कि पक्षियों पर भी है।
मीडिया में आए अपने बयान को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने इस तरह का बयान कभी नहीं दिया था। मीडिया में कहा गया था कि मंदिरों में सदियों पुरानी पशुओं की बलि की प्रथा को अनुमति देने के लिए सरकार अध्यादेश लाना चाहती है।
उन्होंने कहा, “चूंकि इस प्रतिबंध के दायरे में केवल एक ही समुदाय (हिंदू) आता है और दूसरे धर्म में इस तरह की परिपाटी जारी है। यह सोचा जा रहा है कि प्रतिबंध के दायरे में केवल एक ही समुदाय को क्यों लाया गया और अन्य को छोड़ दिया गया?”
उच्च न्यायालय की खंडपीठ के 110 पृष्ठों के फैसले में कहा गया है, “पशुओं और पक्षियों की बलि वीभत्सता और नीचता है।”