मुंबई, 13 सितंबर (आईएएनएस)। गीतकार व पटकथा लेखक और विज्ञापन गुरु प्रसून जोशी का कहना है कि उन्हें ऐसे बोल वाले गीत नहीं भाते, जो अटपटे हों। ऐसे गीत और उसकी धुन सुनकर उनका खून खौल उठता है।
प्रसून ने आईएएनएस को बताया, “जब मैंने इस प्रकार के गीत और उनके बोल सुने, मेरा खून खौल उठा था। मैं काफी नाखुश और गुस्से से भरा हुआ था। मनोरंजन के लिए आप किसी भी चीज के साथ समझौता नहीं कर सकते।”
विज्ञापन जगत के दिग्गज प्रसून ने साझा किया कि उन्हें ‘हवन करेंगे’, ‘मस्ती की पाठशाला’ और ‘गेंदा फूल’ जैसे गीत पसंद आए थे। उनका कहना है कि हर कोई बिना समझौता किए इन पर थिरक सकता है।
प्रसून का यह भी मानना है कि दर्शक या श्रोता ही बदलाव ला सकते हैं, अगर वह इस प्रकार के अटपटे बोल वाले संगीत को अस्वीकार कर दें।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि इस विकल्प में दर्शक या श्रोता बदलाव ला सकते हैं। उनके पास ताकत है। जिस दिन वह इस प्रकार की चीजों को स्वीकार करना बंद कर देंगे, आपको बदलाव नजर आएगा।”