Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 बच्चियों के यौन शोषण बीच कन्या पूजन बड़ा सवाल | dharmpath.com

Monday , 5 May 2025

Home » धर्मंपथ » बच्चियों के यौन शोषण बीच कन्या पूजन बड़ा सवाल

बच्चियों के यौन शोषण बीच कन्या पूजन बड़ा सवाल

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का प्रतीक नवरात्रि पर्व का अहम महत्व है। पर्व के नौवें दिन कन्या पूजन सदियों से चली आ रही प्रथा का प्रमाण है, लेकिन दुर्भाग्य से वर्तमान में ‘कन्या’ के प्रति आस्था क्षीण होती प्रतीत होती है।

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का प्रतीक नवरात्रि पर्व का अहम महत्व है। पर्व के नौवें दिन कन्या पूजन सदियों से चली आ रही प्रथा का प्रमाण है, लेकिन दुर्भाग्य से वर्तमान में ‘कन्या’ के प्रति आस्था क्षीण होती प्रतीत होती है।

देश की राजधानी में नवरात्रि पर्व के दिनों में ही दो नाबालिग बच्चियों के साथ हुई दुष्कर्म की अमानवीय घटना ने नवरात्रि पर्व की प्रथा और सरकार के रखवालों के वादों पर एक सवाल खड़ा कर दिया है।

देश में धूमधाम से मनाए जाने वाले इस पर्व पर जहां एक ओर कुंवारी कन्याएं साक्षात देवी मां के स्वरूप में पूजी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर कन्याएं भूखे भेड़ियों की हवस का शिकार भी हो रही हैं। ऐसे हादसे कन्या पूजन पर बड़ा सवाल खड़ा करते हैं।

यह कैसी अमानवीयता है, जिसमें ढाई साल की बच्ची भी समाज में बसे भक्षकों के लिए उनकी कामेच्छा को शांत करने का साधन भर रह गई है। देश में यह एकमात्र घटना नहीं है और इसी कारण नारी शक्ति का प्रतीक नवरात्रि पर्व की चमक जघन्य अपराधों के काले साये में फीकी पड़ती जा रही है।

दिल्ली में हाल ही में एक ही दिन दो अलग-अलग इलाकों में नाबालिग बच्चियों के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटनाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान के मायने पर भी प्रश्नचिह्न् लगा दिया है। देश में हो रहे ऐसे जघन्य अपराधों और मोदी के बेटी बचाओ अभियान ने यह प्रश्न भी खड़ा कर दिया है कि आखिर बेटी क्योंबचाई जाए? समाज में बसे वहशी दरिंदों के लिए?

निर्भया कांड के बाद भी देश में मासूम बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में कोई कमी नहीं दिख रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2013 की वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2012 में देशभर में दुष्कर्म के 24,923 मामलों दर्ज किए गए थे। यह आकंड़ा साल 2013 में बढ़कर 33,707 तक पहुंच गया, जिनमें से 4,427 मामलों में 14 साल तक की उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया गया।

भारतीय समाज में इन घटनाओं को तूल देने वालों का भी जवाब नहीं। नेताओं की बदजुबानी से आरोपियों का हौसला और बढ़ रहा है। देश की राजधानी में 16 दिसंबर, 2012 को हुए निर्भया कांड के बाद युवाओं में आक्रोश का जो लावा फूटा, वह ऐतिहासिक था। आक्रोशित लोगों ने इंडिया गेट से लेकर रायसीना हिल्स तक को हिलाकर रख दिया था। हिली तत्कालीन सरकार भी, लगा कि अब सबकुछ ठीक हो जाएगा। कानून में बदलाव भी किया गया, लेकिन हालात जस के तस हैं।

ऐसे हादसों के बाद नेताओं की बयानबाजी शुरू हो जाती है, कोई लड़की को ही दोषी ठहरा देता है, लड़कियों के पहनावे पर तंज कसता है। सोचने वाली बात है कि ढाई साल और पांच साल की उस मासूम का क्या दोष रहा होगा, जिनके साथ यह जघन्य अपराध हुआ? उन्हें समाज की कौन सी सीमा लांघने की सजा मिली?

‘महिलाओं के साथ होने वाली हिसा की असली दोषी महिलाएं ही हैं’, ऐसी मानसिकता रखने वाले कई नेता सत्ता में आने के लिए महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े वादे करते हैं, जो महज ढकोसला साबित होता है।

जिस देश में एक पूर्व रक्षामंत्री कहें कि ‘लड़के हैं, लड़कियों से गलती हो जाती है’ और यह कि ‘दुष्कर्म कोई ऐसा अपराध नहीं जिसमें फांसी की सजा हो’ तब सुधार की क्या उम्मीद की जा सकती है।

बच्चियों के यौन शोषण बीच कन्या पूजन बड़ा सवाल Reviewed by on . नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का प्रतीक नवरात्रि पर्व का अहम महत्व है। पर्व के नौवें दिन कन्या पूजन सदियों से चली आ रही प्रथा नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (आईएएनएस)। भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का प्रतीक नवरात्रि पर्व का अहम महत्व है। पर्व के नौवें दिन कन्या पूजन सदियों से चली आ रही प्रथा Rating:
scroll to top